उच्चतम न्यायालय ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार प्रवचनकर्ता आसाराम की यौन हिंसा से संबंधित खबरों की रिपोर्टिंग से मीडिया को रोकने की याचिका पर विचार से इंकार कर दिया.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने आसाराम की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुये कहा, ‘इस समय हम आपकी याचिका पर विचार नहीं कर सकते.’ साथ ही न्यायालय ने कहा कि यदि 72 वर्षीय आसाराम भविष्य में मीडिया की खबरों से प्रभावित महसूस करें तो वह उसके समक्ष फिर से आ सकते हैं.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘मान लीजिये कि पीड़ित और उसका परिवार पुलिस के पास जाकर शिकायत दर्ज करते हैं और फिर इसकी जानकारी मीडिया को देते हैं, या फिर पुलिस मामला दर्ज करने के बाद प्रेस को बताती है, तो क्या हम उन्हें रोक सकते हैं?’
आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने समाचार चैनलों की खबरों में इस्तेमाल की गयी कुछ पंक्तियों का जिक्र करते हुये कहा कि उनकी शिकायत समाचारों के साथ छेड़छाड़ को लेकर है. उन्होंने कहा कि वे मीडिया की खबरों के खिलाफ नहीं हैं. सही तरीके से रिपोर्टिंग होने पर कोई परेशानी नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में एक समाचार चैनल ने एक कदम आगे बढ़कर कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुयी है, जबकि पीड़ित की भी यह शिकायत नहीं है कि उससे बलात्कार किया गया.
विकास सिंह ने शीर्ष अदालत के अनेक फैसलों का जिक्र करते हुये कहा कि मीडिया में खबरों के स्थगन के लिये आसाराम के पास अदालत आने का कानूनी विकल्प उपलब्ध है और अपराध सिद्ध होने तक उन्हें निर्दोष ही माना जायेगा.
इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम इसकी विचारणीयता पर नहीं बोल रहे हैं. हम आपके अनुरोध को कम करके नहीं आंक रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या इस समय हम ऐसा आदेश दे सकते हैं.’
आसाराम के वकील ने इस मामले में मीडिया ट्रायल का आरोप लगाते हुये कहा कि एक ओर आरोपी को मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज बयानों के अंशों का हवाला देने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि दूसरी ओर मीडिया के पास यह उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि कुछ समाचार चैनल तो प्राइम टाइम में सिर्फ इस मामले से संबंधित खबरें ही दिखा रहे हैं, क्योंकि आसाराम के सात करोड़ अनुयायी हैं और इससे उनकी टीआरपी बढ़ती है.
आसाराम को एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में अगस्त में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद से ही वह हिरासत में है .
आसाराम ने आठ अक्तूबर को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि मीडिया को उनके खिलाफ अभियान चलाने से रोका जाये. उनका कहना था कि मीडिया को ऐसा करने से रोका जाये अन्यथा उनके मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी.
उनके वकील का कहना था कि मुकदमे की सुनवाई से पहले ही मीडिया उन्हें दोषी करार दे रहा है और ऐसी स्थिति में उनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी.
वकील का यह भी कहना था कि आसाराम के आश्रमों में दस हजार लड़के लड़कियां अध्ययन करते हैं और मीडिया की खबरें उन पर प्रतिकूल असर डाल रही हैं.