इंटरनेट पर पोर्न सामग्री देखने वाले सतर्क हो जाएं क्योंकि जल्द ही सरकार
इंटरनेट पर परोसे जाने वाली ऐसी सामग्री पर बैन लगा सकती है और साथ ही आप पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट
ने पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाने के लिए दायर याचिका पर केंद्र सरकार से
जवाब तलब किया.
महिलाओं के सामने पोर्न देखते हैं MTNL कर्मी...
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय, गृह मंत्रालय और भारत में इंटरनेट सेवा प्रदाता एसोसिएशन को भी नोटिस जारी किये.
इंदौर स्थित वकील कमलेश वासवानी ने याचिका में कहा है कि पोर्न वेबसाइट महिलाओं के प्रति अपराध का एक बड़ा कारण है. याचिका के अनुसार बच्चों से संबंधित अश्लीलता दिखाई जा रही है और बहुत से बच्चे उसे देखते हैं जिससे उन पर गलत असर पड़ रहा है.
कोर्ट शुरू में इस याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं था. कोर्ट का मत था कि इस मसले से सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत निपटा जा सकता है. लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता एम एन कृष्णामणि का कहना था कि साइबर कानून के तहत शिकायत दायर करना समस्या का समाधान नहीं है क्योंकि इसके कुछ प्रावधान संविधान के अनुरूप नहीं हैं.
याचिकाकर्ता के वकील विजय पंजवानी ने कहा कि इंटरनेट कानून नहीं होने के कारण इन पोर्न वेबसाइट को देखने का बढ़ावा मिलता है क्योंकि ऐसा करना अपराध नहीं है.
उन्होंने कहा कि इस समय 20 करोड़ से भी ज्यादा पोर्न वीडिया या क्लिपिंग बाजार में उपलब्ध हैं जिन्हें इंटरनेट और वीडियो सीडी से सीधे ही डाउनलोड कर लिया जाता है.
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं, लड़कियों और बच्चों के प्रति होने वाले अधिकांश अपराध इन पोर्न वेबसाइट से प्रेरित होते हैं.