एससी/एसटी कानून में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किए गए बदलाव के बाद देशभर में इसका विरोध प्रदर्शन हुआ. दलित संगठनों ने सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी जाहिर की, तो विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरा. सरकार इस मुद्दे पर पिछले कुछ दिनों में बैकफुट पर दिखी. लेकिन अब सरकार दलितों को मनाने के लिए अब बड़ा कदम उठाने वाली है.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टुडे को बताया कि सरकार के पास सभी रास्ते खुले हैं. सरकार में सूत्रों की मानें तो कानून मंत्रालय इस पर अध्यादेश लाने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, सरकार ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी डाली है. फिर भी लगातार बढ़ते जनता और राजनीतिक दबाव के चलते सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. सूत्रों की मानें तो अगर सुप्रीम कोर्ट में डाली गई पुनर्विचार याचिका से कोई हल नहीं निकलता है तो सरकार अध्यादेश की तरफ कदम बढ़ा सकती है.
सूत्रों की मानें तो सोमवार को रविशंकर प्रसाद ने अध्यादेश के मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लंबी बात की. हालांकि, सरकार की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई.
सरकारी सूत्रों का साफ कहना है कि सरकार मानती है कि सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता है, कानून बनाना संसद का ही काम है. हालांकि, सरकार अध्यादेश लाएगी यह अभी तय नहीं है क्योंकि इस मामले पर पुनर्विचार याचिका भी डाली जा चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सही से तर्क ना देने के कारण सरकार आलोचना का शिकार हो रही है. लेकिन कर्नाटक चुनावों में इसका बीजेपी को नुकसान ना हो इसी कारण अब सतर्कता बरती जा रही है. वहीं मानसून सेशन में सरकार इस पर नया बिल भी पेश कर सकती है. बीजेपी नेता की मानें तो अगर सरकार अध्यादेश लाती है तो कोई भी पार्टी उसका विरोध नहीं करेगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही दलित संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस भारत बंद में काफी हिंसा हुई थी और कुछ लोगों की मौत भी हुई थी.
आपको बता दें कि लगातार इस मुद्दे पर हो रहे विरोध के बीच प्रधानमंत्री ने कहा था कि आपके हक की चिंता करना सरकार का दायित्व है. मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ भ्रम फैला सकती है, इस कोशिश की एक तस्वीर इस महीने की 2 तारीख को हम देख चुके हैं. कभी आरक्षण खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, कभी दलितों के अत्याचार से जुड़े कानून को खत्म किए जाने की अफवाह फैलाना, भाई से भाई को लड़ाने में कांग्रेस कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था. जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. पुनर्विचार याचिका की सुनवाई में भी कोर्ट ने कहा था कि जो लोग विरोध कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश नहीं पढ़ा है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.