बिजली और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि कोल ब्लॉक्स के आवंटन को गैरकानूनी व मनमाना ठहराने वाला सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सरकार के लिए आगह करने वाला निर्णय है कि व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता व जवाबदेही लाना जरूरी हो गया है.
गोयल ने कहा, ‘यह हमारे लिए एक चेतावनी है. जब हम यहां यह बात कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है. देश में सरकार के सभी कामों में जवाबदेही व पारदर्शिता लानी ही होगी. मानदंड को अधिक पारदर्शी बनाना होगा और सुचिता लानी होगी.’
उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों व अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सजग व जाग्रत होना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने निर्णय किया कि 1993 से 2010 के दौरान एनडीए व यूपीए सरकारों के कार्यकाल में नीलामी पूर्व के दौर में सभी कोल ब्लॉक्स आबंटन गैरकानूनी और मनमाने तरीके से किए गए.
सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रही है. इसके बाद ही उपरोक्त अवधि में आवंटित 218 कोयला ब्लाकों का भविष्य तय होगा. इस बीच, गोयल ने राज्यों के बिजली मंत्रियों व अधिकारियों से बैठक में नीति में सुधार संबंधी मुद्दों पर विचार विमर्श किया.
गोयल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज की बैठक का मुद्दा नीति में सुधार है. समस्यों व राज्यों से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए हम किसी और समय मिलेंगे.’
हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे विशेष उदाहरणों का स्वागत है जिनसे नीति में सुधार किया जा सकता है. 29 राज्यों और 5 संघ शासित प्रदेशों में से केवल 18 राज्यों के प्रतिनिधि बैठक में मौजूद थे. गोयल ने इस पर कहा, ‘कुछ राज्यों को लगा कि इस बैठक का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में हर घर में पांच साल में दिन-रात बिजली की बराबर उपलब्धता के लिए केंद्र को राज्य सरकारों से सहयोग की जरूरत है.