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स्कूलों में योग अनिवार्य बनाने के लिए SC में याचिका, 7 नवंबर को सुनवाई

'राष्ट्रीय योग नीति' बनाने और स्कूलों में योग अनिवार्य बनाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. याचिका में देश भर के स्कूलों में पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के छात्रों के लिए योग अनिवार्य बनाने की मांग की गई है.

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याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई होगी.
याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई होगी.

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'राष्ट्रीय योग नीति' बनाने और स्कूलों में योग अनिवार्य बनाने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. याचिका में देश भर के स्कूलों में पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के छात्रों के लिए योग अनिवार्य बनाने की मांग की गई है.

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय बेंच याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. इस बेंच में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव भी शामिल हैं. याचिका पर 7 नवंबर को सुनवाई होगी.

दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका में योग को 'सेकुलर' बताते हुए स्कूली पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय बनाने की मांग की गई है. याचिका में साथ ही कहा गया है कि 'स्वास्थ्य का अधिकार' को 'जीवन के अधिकार' का ही अभिन्न हिस्सा माना जाना चाहिए.

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याचिकाकर्ता ने पहली से आठवीं क्लास के छात्रों के लिए योग और स्वास्थ्य शिक्षा पर मानकीकृत पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय, NCERT, NCTE और CBSE को निर्देश देने की मांग की. साथ ही कहा कि ये पुस्तकें जीवन, शिक्षा और समानता के अधिकार के अनुरूप होनी चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि 'स्वास्थ्य का अधिकार' संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत 'जीवन के अधिकार' का अभिन्न हिस्सा है. इसमें संरक्षण, रोकथाम और स्वास्थ्य न्यूनतम जरूरत है जो किसी व्यक्ति को मानवीय गरिमा के साथ जीने के लिए चाहिए.

याचिका के मुताबिक सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है. विशेष तौर पर बच्चों और किशोरों के लिए. वेलफेयर स्टेट की अवधारणा में ये सुनिश्चित करना सरकार का काम है कि वो अच्छे स्वास्थ्य के लिए ढांचा तैयार करें और फिर उस पर सतत निगरानी रखे. याचिका में ये भी कहा गया है कि बच्चों के लिए योग और स्वास्थ्य नीति को बनाए बिना स्वास्थ्य के अधिकार का उद्देश्य प्राप्त नहीं किया जा सकता. इसी लिए राष्ट्रीय योग नीति लाना देश में जरूरी है.

याचिका में कहा गया कि देश में करीब 20 करोड़ बच्चे हैं. जो प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं में सरकारी खर्च पर पढ़ते हैं. याचिका में महिला व बाल कल्याण मंत्रालय और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को ये निर्देश देने की भी मांग की गई है कि महीने के हर पहले रविवार को 'स्वास्थ्य दिवस' के तौर पर घोषित किया जाए. स्वास्थ्य के लिए जागरूकता जगाने को ये उसी तर्ज पर किया जाए जैसे कि पोलियो दिवस मनाने के लिए किया जाता है. याचिका में कैलिफोर्निया की एक कोर्ट की व्यवस्था का भी हवाला दिया जिसमें योग को 'सेकुलर' बताया गया है.

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