सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी हत्याकांड की फिर से जांच कराने की याचिका की सुनवाई पर महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. तुषार गांधी ने याचिका की सुनवाई को मूर्खतापूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि जब उन्हें इस याचिका के बारे में पता चला तो उनको बड़ी हैरानी हुई.
गांधी के पड़पोते तुषार ने आगे सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट के पास कोई और काम नहीं है? तुषार ने कहा, "एक तरफ तो कोर्ट काम के अत्यधिक बोझ का रोना रोता है और दूसरी तरफ ऐसी याचिकाओं की सुनवाई करता है. ऐसी याचिकाओं को पहले ही खारिज कर देना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट नहीं करना चाहता था सुनवाई
उन्होंने कहा, "जब मुंबई हाई कोर्ट में याचिका की गई थी तो इसे तुरंत खारिज कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा होना चाहिए था. मुझे पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहता था लेकिन काफी दबाव के बाद कोर्ट ने न्यायमित्र की नियुक्ति कर दी."
तुषार ने आगे कहा, "यह एक षडयंत्र है. बापू की हत्या के बारे में गलत सूचना फैलाने की कोशिश की जा रही है. इनके निशाने पर कपूर आयोग की रिपोर्ट है. इस आयोग की रिपोर्ट से ही इन लोगों को दिक्कत है."
वहीं, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "मैं खुश हूं कि अभी और सच्चाई सामने आएगी."
उर्दू में दर्ज एफआईआर में है पूरी वारदात का जिक्र
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी, बापू की हत्या की एफआईआर उसी दिन यानी 30 जनवरी को दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज की गई थी. एफआईआर उर्दू में लिखी गई थी जिसमें पूरी वारदात के बारे में बताया गया था.
दिल्ली के तुगलक रोड के रिकॉर्ड रूम में आज भी वो एफआईआर संभाल कर रखी गई है, एफआईआर को बाकायदा लेमिनेशन करवा कर रखा गया है, अगर कभी भी बापू की हत्या का मामला फिर से खुलता है और जांच नए सिरे से शुरू होती है तो इसी एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की जाएगी.
गोडसे के अलावा किसी और ने चलाई थी गोली?
क्या महात्मा गांधी का कोई दूसरा हत्यारा भी था? वैसे पुलिस तो इस कहानी पर भरोसा करती है कि गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं, लेकिन क्या चौथी गोली भी थी जिसे नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और ने चलाया था? ऐसे कई सवालों को लेकर उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने अब महात्मा गांधी हत्याकांड की फिर से जांच कराने की इस याचिका पर अब 30 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. इस मामले में पूर्व एएसजी अमरेंद्र शरण एमिकस क्यूरी होंगे. वहीं शुक्रवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कई सवाल किए. कोर्ट ने पूछा इस हत्याकांड में दो दोषियों को फांसी हो चुकी है और मामले से जुड़े तमाम लोग मर चुके हैं. ऐसे में इसका कानूनी औचित्य क्या होगा? कोर्ट ने पूछा कि क्या इस मामले में कोई नया सबूत है ?
अभिनव भारत ने दायर की है याचिकाआपको बता दें कि यह याचिका अभिनव भारत, मुंबई के शोधकर्ता और ट्रस्टी पंकज फडनिस ने फाइल की है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गांधी की मौत को इतिहास का सबसे बड़ा कवर-अप बताते हुए केस को दोबारा से खोलने की मांग की गई है.
याचिका में अनुरोध किया गया है कि नया जांच आयोग गठित करके गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए. याचिका में गांधी की हत्या की जांच के बारे में भी सवाल उठाए गए हैं जिसमें कहा गया कि क्या यह इतिहास में मामला ढकने की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई आधार है या नहीं.
गांधी की हत्या के दोषियों को हुई थी फांसी
अभिनव भारत मुंबई के शोधार्थी और डाक्टर पंकज फडनिस की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा. यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई.
गांधी की हत्या को दोषियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया. सावरकर से प्रेरित होकर अभिनव भारत, मुंबई की स्थापना 2001 में हुई थी और इसने सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा किया था.