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तीन तलाक असंवैधानिक करार, फिर भी फहरीन को खत से मिला तलाक

अपनी चार महीने की मासूम बेटी को गोद में लिए फहरीन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत है. वह सरकार से तलाक मामले में कड़े कानून बनाने की मांग कर रही है. उसका कहना है कि उसकी तरह किसी और लड़की की जिंदगी तबाह ना हो.

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बच्ची के साथ फहरीन
बच्ची के साथ फहरीन

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तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस प्रथा को असंवैधानिक करार दिया. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक पर फैसला सुना रहा था, वहीं एक साल पहले बसा फहरीन का घर पति द्वारा सादे कागज पर लिखी तलाक की चिट्ठी से पल भर में उजड़ गया.

कोर्ट के फैसले से सहमत फहरीन

अपनी चार महीने की मासूम बेटी को गोद में लिए फहरीन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत है. वह सरकार से तलाक मामले में कड़े कानून बनाने की मांग कर रही है. उसका कहना है कि उसकी तरह किसी और लड़की की जिंदगी तबाह ना हो.

दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद शहर के बालागंज इलाके में रहने वाली फहरीन का निकाह 19 फरवरी 2016 को इमरान के साथ हुआ था. पति और ससुराल पक्ष के लोग लगातार उसे प्रताड़ित करते रहे. फरीन के गरीब पिता ने हैसियत के हिसाब से बेटी को जितना हो सका दहेज भी दिया लेकिन फहरीन को रहत नहीं मिली. 16 अगस्त को पति इमरान ने एक सादे कागज पर तलाकनामा लिखा कर शहर काजी को भेज दिया. इसके बाद काजी साहब ने इसमें एक कवरिंग लेटर लगाकर फरीन के पिता शाकिर अली के घर डाक से भेज दिया.

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तलाक की चिट्ठी में लिखी ये बातें

फहरीन के पति इमरान ने जो तलाकनामा लिखा है उसमें कहा गया है कि फहरीन शादी के बाद से मां-बाप के घर जाकर लंबे समय तक रुकती है. खत में लिखा है, 'इसके मां-बाप और बहन ने मेरी गैरहाजरी में मेरी मां से मारपीट की. झूठी रिपोर्ट कर दहेज एक्ट का मामला भी दर्ज करा दिया, जिससे मेरी मां का मानसिक संतुलन बिगड़ गया. ये लोग कोई भी अनहोनी कर सकते है. इसलिए होशो-हवास में फहरीन को तलाक देता हूं.'

 

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