सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह चाहता है कि पॉर्न वेबसाइट्स, खासकर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से संबंधित साइट्स को ब्लॉक करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने दूरसंचार विभाग को नोटिस जारी कर पूछा है कि वह बताए कि ऐसी वेबसाइट्स को कैसे ब्लॉक किया जा सकता है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से 3 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था. दूरसंचार विभाग इसी मंत्रालय का हिस्सा है. कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सूचना प्रसारण मंत्रालय रेडियो और टीवी के प्रसारण को देखता है और वह वेब साइट्स को रेगुलेट नहीं करता. इसके बाद कोर्ट ने दूरसंचार विभाग को नोटिस जारी कर दिया. इससे पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट वकील कमलेश वासवानी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में कहा गया है कि पॉर्नोग्राफी साइट्स को बैन किया जाना चाहिए, क्योंकि इस कारण महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. याचिका के मुताबिक, 'इंटरनेट कानूनों के अभाव में पॉर्न वीडियो को बढ़ावा मिल रहा है. बाजार में 20 करोड़ पॉर्न वीडियो और क्लिपिंग उपलब्ध हैं और इंटरनेट से सीधे सीडी में इसे डाउनलोड किया जा सकता है.'
वहीं, कानूनी जानकारों का कहना है कि आईटी एक्ट एडल्ट पॉर्न को गैरकानूनी नहीं बना सकता, लेकिन चाइल्ड पॉर्न देखना अपराध है. और यह कानून उन सभी लोगों पर लागू होता है जो इससे संबंधित टेक्स्ट और तस्वीरें बनाते हैं, देखते हैं या उन्हें डाउनलोड करते हैं.
इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अंतरराष्ट्रीय पॉर्न साइट्स को ब्लॉक करना मुश्किल है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि सरकार इस बेहद गंभीर मामले को डील करने में काफी वक्त लगा रही है. इसी के साथ कोर्ट ने सरकार को कुछ और समय दिया ताकि वो एक ऐसी प्रक्रिया बनाए जिससे इन वेबसाइट्स को ब्लॉक किया जा सके.
गौरतलब है कि सोमवार को गूगल के बॉस एरिक स्मिथ ने कहा था कि उन्होंने चाइल्ड पॉर्न से संबंधित वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का फैसला कर लिया है. उन्होंने बताया कि सर्च इंजन ने एक ऐसी तकनीकि विकसित की है, जिसकी बदौलत इंटरनेट पर बच्चों की अश्लील तस्वीरों की खोज बेहद कठिन हो जाएगी.