देश के स्कूलों के कुछ शिक्षक मुस्लिम और निचली जाति के बच्चों से टॉयलट साफ करवाते हैं. यही नहीं उन्हें अलग से बैठाया भी जाता है. यह खुलासा मंगलवार को ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट से हुआ.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह बर्ताव देश के स्कूलों में आमतौर पर शिक्षकों की ओर से किया जा रहा है. और एकमात्र यही भेदभाव ही इन समुदाय के लोगों को स्कूल छोड़ने में मजबूर करता है. ऐसे भेदभाव से दुखी होकर ही इन समुदायों के बच्चे पढ़ाई लिखाई छोड़कर मजदूरी करने निकल पड़ते हैं.
77 पेज की स्टडी में चार राज्यों के 160 शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, अभिभावकों और छात्रों से बातचीत की गई है. इन चार राज्यों में निचली जाति, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग काफी संख्या में रहते हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बच्चों को शिक्षित करने के प्रोजेक्ट में सबसे बड़ा अवरोधक शिक्षक और स्कूल स्टाफ की ओर किया जाने वाला भेदभाव ही है.
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे बच्चों के साथ भी गलत बर्ताव और उन्हें दरकिनार किया जाता है, जो अपने घर से स्कूल जाने वाले पहले होते हैं. मुस्लिम बच्चों को अक्सर क्लास में सबसे पीछे या अलग से किसी रूम में बैठाया जाता है.
यही नहीं कुछ बच्चे बताते हैं कि उन्हें गंदा होने की वजह से वो तवज्जो नहीं दी जाती जो औरों को दी जाती है. वहीं मुस्लिम बच्चे बताते हैं कि उन्हें उनके नाम के बजाय मुल्ला कहकर बुलाया जाता है.