लगातार समेकित प्रयासों की बदौलत भौतिकविद ब्रह्माण्ड की उत्पति की प्रक्रिया यानी ‘बिग बैंग’ की घटना को सुलझाने के करीब पहुंच गए हैं.
‘यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना’ के प्रयोगात्मक भौतिकविदो ने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीसलैंड’ के सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानियों ऐश्टन ब्रैडली और मैथ्यू डेविस के साथ मिलकर यह पता लगाने की कोशिश की कि ‘बोस-आइस्टीन’ कैसे घनीभूत हुआ.
‘बोस-आइस्टीन’ का घनीभूत होना पदार्थ का वह रूप है, जो अति ठडे तापमान पर बनता है. इस तापमान पर अणुओं की गतिविधि तरंगों की तरह हो जाती है. पदार्थ के इस रूप की भविष्यवाणी आइस्टीन ने की थी. इसके बाद भारतीय वैज्ञानिक सत्येद्रनाथ बोस ने इस सिद्धान्त का इस्तेमाल प्रकाश की कुछ खास गतिविधियों को समझाने के लिए किया था.