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नीति आयोग ने सरकार से कहा- गैरजरूरी है अलग से रेल बजट, इसे खत्म करना ही अच्छा

इस साल फरवरी में संसद में पेश रेल बजट आखिरी हो सकता है. ऐसा हुआ तो सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करने वाले आखिरी रेल मंत्री हो जाएंगे. नीति आयोग की सिफारिश के बाद मोदी सरकार यह बड़ा कदम उठा सकती है.

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रेल बजट पेश करने वाले आखिरी रेल मंत्री  हो सकते हैं सुरेश प्रभु
रेल बजट पेश करने वाले आखिरी रेल मंत्री हो सकते हैं सुरेश प्रभु

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इस साल फरवरी में संसद में पेश रेल बजट आखिरी हो सकता है. ऐसा हुआ तो सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करने वाले आखिरी रेल मंत्री हो जाएंगे. नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में रेल बजट खत्म करने की सिफारिश की है.

नीति आयोग की रेल बजट को खत्म की सिफारिश
दरअसल आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि अलग से रेल बजट की जरूरत नहीं है. इसे आम बजट में ही शामिल किया जा सकता है. क्योंकि नई ट्रेनें जरूरत के मुताबिक बीच में भी चलाई जा सकती है और किराया तय करने के लिए संसद पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं. आयोग ने अपनी रिपोर्ट पीएमओ को सौंप दी है और पीएमओ ने इसे रेलवे बोर्ड को भेज दिया है. रेलवे बोर्ड इसपर सहमति जाहिर कर देता है तो करीब 100 साल से चली आ रही इस परंपरा का अंत हो जाएगा.

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रिपोर्ट पीएमओ को भेजी गई
नीति आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेल बजट एक राजनीतिक प्लेटफॉर्म बनकर रह गया है जिससे भारतीय रेल पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ा है. रेल बजट खत्म होने पर सरकार में नौकरशाही और राजनीतिक प्रक्रिया में कमी आएगी, जिससे रेलवे को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, क्योंकि वोट बैंक के लिए लोकलुभवन घोषणाएं समाप्त हो जाएंगी.

रेलवे की सेहत बदलने की कवायद
यह रिपोर्ट नीति आयोग के सदस्य बिवेक देबरॉय ने तैयार की है जो पहले भी रेलवे के कायापलट पर एक रिपोर्ट तैयार कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग रेल बजट पेश करने की मौजूदा व्यवस्था को खत्म करने से रेल सुधार की दिशा में अच्छा संदेश जाएगा. ज्ञात हो कि देबरॉय कमेटी की एक रिपोर्ट पर पहले भी हंगामा हो चुका हैं जिसमे रेलवे के निजीकरण की सिफारिश की गई थी.

फिलहाल रेलवे में बजट के 10 भाग
रेलवे के आला आधिकारी बताते हैं कि अब तक रेल बजट के अवसर का इस्तेमाल किराए में वृद्धि या कमी के लिए किया जाता रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि रेल किराए में वृद्धि के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक नहीं है, इसलिए रेल बजट अलग से पेश करना जरूरी नहीं है. सूत्रों की मानें तो फिलहाल रेलवे बजट के दस प्रमुख भाग होते हैं जिसमें से मात्र दो को ही संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है, ये दो भाग पिछले वित्त वर्ष का वित्तीय प्रदर्शन और बजटीय वर्ष के लिए प्रस्तावित राजस्व और व्यय हैं. इस तरह इन दोनों को आम बजट में शामिल किया जा सकता है जैसा कि अन्य मंत्रालयों के संबंध में होता है. हालांकि रेलवे का एक्शन प्लान बनाने, विजन योजनाएं तैयार करने और आउटकम दस्तावेज तैयार करने का काम रेल मंत्रालय के पास ही रहेगा.

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