ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में भारत की स्कॉर्पीन पनडुब्बी से जुड़ी अहम जानकारियों के लीक हो जाने ने हड़कंप मचा दिया है. फ्रांस की मदद से बन रही इस पनडुब्बी की रणनीतिक क्षमताओं से जुड़े हजारों पेज दस्तावेज लीक हो गए हैं. मामले से परेशान रक्षा मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही इस बात की पड़ताल की जा रही है कि इसने नौसैनिक तैयारियों और हजारों करोड़ रुपये के स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट को कितना कमजोर किया है.
सबमरीन समंदर के भीतर सबसे घातक हथियार छुपकर दुश्मन पर करती है. बेपता रहकर वार की यही क्षमता होती है सबमरीन की सबसे बड़ी ताकत और इस ताकत की चाबी होती है. सबमरीन के इंजन से निकलने वाली आवाज यानी उसके नॉइस सिग्नेचर में उसकी कम्यूनिकेशन फ्रीक्वेंसी, लेकिन यह चाबी किसे के हाथ लग जाए तो सबमरीन को शिकार बनते भी देर नहीं लगती. कुछ ऐसा ही खतरा अब भारत के लिए मझगांव डॉक में बन रही स्कॉर्पीन सबमरीन पर भी मंडरा रहा है.
फ्रेंच कंपनी डीसीएनएस की मदद से मुंबई के मझगांव डॉक में तैयार आइनएनएस कलावरी और उसके साथ बन रही पांच और सबमरीन से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं ऑस्ट्रेलिया में लीक हो गई है, जो जानकारियां लीक हुई हैं उनमें किस गहराई में स्कॉर्पीन का नॉइस सिग्नेचर क्या है? किस फ्रीक्वेंसी पर वो सूचनाएं जमा करती है? उसमें लगे हथियार और टॉरपीडो को किस तरह ऑपरेट किया जाता है? उसमें दुश्मन से बचकर संचार के लिए कौन से उपकरण हैं और वो कैसे काम करते हैं?
यह महज एक बानगी है उन 22400 पेज दस्तावेजों में मौजूद उस जानकारी की जो स्कॉर्पीन सबमरीन को परतदर परत खोल देते हैं. यह सूचनाएं चीन और पाकिस्तान की नौसेनाओं के हाथ पड़ना इन पनडुब्बियों को एंटी-सबमरीन विमानों का आसान शिकार बना सकता है. मामला कितना गंभीर है कि इस बात की खबर रात बारह बजे रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को दी गई. मामले पर रक्षा मंत्रालय ने भी फौरन जांच के आदेश दे दिए हैं.
मामले पर विवाद बढ़ता देख नौसेना मुख्यालय ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि मामले पर विशेषज्ञों के साथ आंकलन किया जा रहा है. साथ ही यह भी साफ किया कि लीकेज भारत से नहीं बल्कि बाहर से हुआ है. इस बीच रक्षा मंत्रालय में दिन-भर बैठकों का दौर चला जिसमें रक्षा सचिव के साथ ही नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक मामले पर सरकार ने फ्रेंच कंपनी डीसीएनएस से सफाई मांगी है. साथ ही जरूरत पड़ने पर पेरिस एक जांच टीम भेजने की भी तैयारी है.
हालांकि इस लीक ने विपक्ष को सरकार पर सवालों की गोलाबारी का मौका दे दिया. पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा कि सामरिक महत्व की सूचनाओं का लीक देश में हो या विदेश में इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. पार्टी ने सरकार को इस मामले में पड़ताल कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. नौसेना के जानकारों के मुताबिक स्कॉर्पीन सबमरीन की जो सूचनाएं लीक हुई हैं वो 2011 की हैं. नौसेना में सबमरीन को शामिल करने से पहले ऐसे कई इंटीग्रेटेड चेक होते हैं जो पनडुब्बी की सुरक्षा को मुकम्मल कर सकते है. साथ ही संचार और ऑपरेशन की फ्रीक्वेंसी भी बदली जा सकती है.
लेकिन इस बात की चिंताएं भी हैं कि आखिर इस तरह की सूचनाओं का लीक होना भी बड़ी सेंध साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि इस लीक के पीछे ऑस्ट्रेलिया में सबमरीन ठेके के लिए कंपनियों की आपसी लड़ाई थी. जिसमें बतौर प्रेजेंटेशन इस्तेमाल किया गया. भारतीय स्कॉर्पीन सबमरीन का डेटा पहले दक्षिण पूर्व एशिया पहुंचा और फिर लीक का शिकार हो गया. लीकेज से नुकसान का आकलन और भरपाई का इंतजाम तो कुछ वक्त में होगा. लेकिन इसने सामरिक सूचनाओं की सुरक्षा के सवालों को गहरा कर दिया है.