प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल में 26/11 मुंबई हमले को कभी खत्म नहीं होने वाला दर्द बताया. यकीनन देश के जेहन में आज भी छह साल पुरानी उस आतंकी वारदात की यादें ताजा हैं. 10 आतंकियों की उस नापाक हरकत ने 164 लोगों के खून से हिंदुस्तान के मानचित्र पर काला दाग छोड़ दिया. लेकिन 6 साल बाद एक बार फिर वैसी ही घटना अंजाम तक पहुंचते-पहुंचते रह गई!
लश्कर-ए-तैयबा की हरकत ने तब देश में सिहरन पैदा कर दी थी, लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि मुंबई पुलिस अभी तक आतंकियों की सेंधमारी और इस ओर अपनी खामियों से नहीं उभर पाई है. यह इसलिए कि पुख्ता जानकारी के बावजूद बीते दिनों '8 आतंकियों' की टोली ने न सिर्फ पुलिस के आठ चेकप्वॉइंट को आसानी से पार किया, बल्कि गेटवे ऑफ इंडिया के निकट 'बम' भी प्लांट कर दिया. लेकिन शुक्र यह कि यह सब पुलिस की ओर से किया गया एक मॉक ड्रिल ही था.
'सागर कवच' में सेंध
दरअसल, बीते दिनों मुंबई पुलिस ने 24 घंटे की एक सुरक्षा ड्रिल को मूर्तरूप दिया. इसका मकसद सुरक्षा तैयारियों और खुद की खामियों को उजागर करना था, लेकिन अफसोस कि सिर्फ खामियां ही उभरकर सामने आईं. 'सागर कवच' नाम के इस ऑपरेशन के लिए पुलिस ने दो टीम बनाई, जिसमें ब्लू टीम सुरक्षा जबकि रेड टीम आतंकियों का गुट बना.
ब्लू टीम को पहले ही यह बता दिया गया कि अगले 24 घंटों में आतंकियों का एक गुट समुद्र के जरिए शहर में घुसने की कोशिश कर सकता है. वह बोट को हाईजैक कर सकते हैं. धमाका कर सकते हैं, वीआईपी गाड़ियों को हाईजैक कर सकते हैं और मछुआरों के जरिए भी शहर में घुस सकते हैं.
टीम ब्लू की तैयारी
पुलिस की टीम ब्लू ने शहर भर में 70 लैंडिंग प्वॉइंट्स पर सुरक्षा कड़ी कर दी. इस काम में 450 पुलिसकर्मियों को लगाया गया, लेकिन ड्रिल के शुरू होते ही 24 घंटों के भीतर 8 आतंकियों वाली टीम रेड शहर में प्रवेश कर गई. यही नहीं, उनमें से कुछ तो गेटवे ऑफ इंडिया और कोलाबा तक भी पहुंच गए, जहां 2008 में हमला हुआ था.
ड्रिल में शामिल एक अधिकारी कहते हैं, 'रेड फोर्स के लोग शहर में घुसने में कामयाब हो गए. उन्होंने गेटवे ऑफ इंडिया के निकट डमी विस्फोटक भी रखे. रेड फोर्स ने 30 बार शहर में घुसने की कवायद की, जिसमें से सिर्फ 22 को ब्लू टीम पहचान पाई और रोक पाई. यानी आठ जगहों पर रेड फोर्स ने कवच को तोड़ दिया. हमें कोस्टलाइन इलाकों में सुरक्षा को लेकर और बंदोबस्त करने की जरूरत है.'
पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई कहते हैं, 'इन सब के लिए सबसे जरूरी अच्छी ट्रेनिंग है. लेकिन भारत में ट्रेनिंग स्कूल को सजा के तौर पर माना जाता है. सच्चाई यह है कि हिंदुस्तान 26/11 जैसी घटना को रोकने में अक्षम है. इसके पीछे एक बड़ा कारण बुरी तरह ट्रेन किए गए सैन्य बल हैं और दूसरा इस ओर हमारा कमजोर प्रशासन तंत्र.'