केंद्र सरकार का मत बदलने की वजह से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने समलैंगिकता के मुद्दे से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रिव्यू याचिका की सुनवाई के दौरान पेश होने से खुद को अलग कर लिया. बता दें कि अटॉर्नी जनरल की जगह मंगलवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा.
केके वेणुगोपाल ने कहा है कि उनकी राय इस मामले में केंद्र सरकार से अलग है, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश नहीं होंगे.
#WATCH: Attorney General K K Venugopal speaks to ANI on #Section377 (criminalising homosexuality) says 'I had appeared for the curative. I'm told govt's stand is different therefore I'm not appearing in that case at all. I can't appear because govt of India has a different stand' pic.twitter.com/L6TH4IR5od
— ANI (@ANI) July 10, 2018
इस बारे में पूछे जाने पर वेणुगोपाल का साफ शब्दों में कहा, 'मैंने सरकार का जो पक्ष रखा था अब सरकार की राय उससे भिन्न है. यही वजह है कि मैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने पेश नहीं हो रहा हूं. कायदे से हो भी नहीं सकता. वैसे मेरी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे के तकनीकी और कानूनी पहलुओं के साथ दलीलों और तर्कों पर काफी गंभीर चर्चा हुई है.'
के के वेणुगोपाल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर फैसला देने वाले जज काफी अनुभवी होकर सुप्रीम कोर्ट आ चुके हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2013 में आए फैसले को पलटते हुए आईपीसी की दफा 377 के तहत बताए कृत्य को फिर अपराध करार देने का फैसला सुनाया था. इस फैसले का रिव्यू करने की याचिका पर कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार से सुनवाई शुरू की है.