खुफिया एजेंसियां किस तरह सोती रही इसका खुलासा आजतक कर रहा है. आजतक के हाथ एक्सक्लूसिव सबूत लगे हैं कि किस तरह इंडियन मुजाहिदीन का आका यासीन भटकल एक ही मोबाइल नंबर से एक साल तक अपने साथियों से बात करता रहा, ब्लास्ट की प्लानिंग करता रहा और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग पाई.
9990985606, ये वही नबंर है जिससे सैंकड़ों मासूमों के लिए मौत की घंटी बजी. इस नंबर को आईएम का सरगना और इंडियाज मोस्ट वांटेड यासीन भटकल हिंदुस्तान में एक साल तक इस्तेमाल करता रहा. भटकल ने मुंबई से लेकर दिल्ली और दिल्ली से लेकर दरभंगा तक साल भर में हजारों कॉल की.
पेश है हैदराबाद ब्लास्ट में तलाश किये जा रहे दो और आतंकवादी से भटकल की बातचीत का ब्यौरा...
1 फरवरी 2011 से लेकर 27 फरवरी 2012 तक
यासीन भटकल ने वांटेड आतंकवादी तहसीन के फोन नंबर 8603544049 पर 369 बार बात हुई. यासीन ने 164 बार खुद आतंकवादी तहसीन को फोन मिलाया. तहसीन ने 205 बार यासीन से बात की.
मुंबई एटीएस की रिपोर्ट में साफ है कि यासीन भटकल इस मोबाइल नंबर तक 27 जनवरी 2012 तक इस्तेमाल करता रहा. अब सवाल यही है कि आखिर ये नंबर कैसे जांच एजेंसियों और पुलिस के रडार से बचता रहा.
किसकी विफलता का नतीजा रहे ब्लास्ट
हैदराबाद ब्लास्ट के बाद ये सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि ब्लास्ट किसकी विफलता का नतीजा रहे और आखिरकार आतंकी अपने मंसूबे में कैसे कामयाब हो गए. आजतक के पास एलर्ट की दोनों कॉपी है, जो गृह मंत्रालय की तरफ से 19 फरवरी को आंध्र प्रदेश सरकार को भेजी गई.
गृह मंत्रालय की सूचना के बाद भी आंध्र प्रदेश सरकार आतंकी हमले का रोक नहीं सकी. गृह मंत्रालय के एलर्ट से साफ है कि हैदराबाद का आतंकी हमला टाला जा सकता था. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय को इस बात की खुफिया जानकारी थी कि 13 फरवरी को पाकिस्तान में यूनाइटेड जेहाद काउंसिल की बैठक हुई. जिसमें अफजल गुरु की फांसी का बदला लेने की बात कही गई.
19 फरवरी को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी किया. अलर्ट में कहा गया कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी ब्लास्ट की योजना बना रहे हैं. लेकिन इस अलर्ट में लोकेशन साफ नहीं था. उसी दिन गृह मंत्रालय ने दूसरा अलर्ट जारी किया, जिसमें हैदराबाद के निशाने पर होने की जानकारी दी गई.