सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पश्चिम बंगाल से लगती हुई भारत-बांग्लादेश सीमा पर देश में रोहिंग्या मुस्लिमों के अवैध प्रवेश को रोकने के लिए 'संवेदनशील' स्थानों पर चौकसी बढ़ा दी है. बीएसएफ अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने के लिए स्थानीय लोगों से मेलजोल भी बढ़ा रही है.
संवेदनशील इलाकों की संख्या बढ़कर हुई 50
बीएसएफ के महानिरीक्षक (दक्षिण बंगाल) पीएसआर अंजनेयुलु ने बताया, "पहले हमने 22 संवदेनशील स्थानों की पहचान की थी लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 50 हो गई है. ये स्थान संवेदनशील हैं, जहां से बांग्लादेशी और रोहिंग्या दोनों ही सीमा पार करके भारत में आ सकते हैं. हमने अपनी चौकसी बढ़ा दी है. संवेदनशील इलाकों में पेत्रापोल, जयंतीपुर, हरिदासपुर, गोपालपारा और तेतुलबेराई भी शामिल हैं."
दक्षिणी बंगाल फ्रंटियर के बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में 175 रोहिंग्या मुसलमानों को पकड़ा गया था, जिनमें से सात को साल 2017 में पकड़ा गया है.
रोहिंग्या की पहचान करने और उनके स्थान का पता रखने के लिए बीएसएफ अपने स्थानीय सूत्रों को बढ़ा रही है और विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के साथ भी काम कर रही है.
केंद्र ने रोहिंग्या शरणार्थियों को बताया था देश की सुरक्षा के लिए खतरा
केंद्र सरकार ने पिछले 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था और देश में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों से देश को खतरा बताया था. 16 पन्ने के इस हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क हैं. ऐसे में ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और इन अवैध शरणार्थियों को भारत से जाना ही होगा.
बता दें, पिछले कई सालों से म्यांमार सेना और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा है. रोहिंग्या मुसलमानों पर कई बार सेना के जवानों को मारने का आरोप भी लगा है. म्यांमार में बढ़ रही हिंसा की वजह से कई रोहिंग्या मुसलमान दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं.
म्यांमार में भड़की हिंसा में अब तक जा चुकी हैं 400 जानें
बढ़ते अत्याचार के बाद रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश और भारत की ओर पलायन करना शुरू कर दिया और कुछ लोगों ने अपने अधिकार पाने के लिए कई आतंकवादी गतिविधियों का सहारा भी लिया. कट्टरपंथी बौद्ध और कट्टरपंथी रोहिंग्या के बीच कई बार झड़प हो चुकी है. रिपोर्ट्स के अनुसार म्यांमार में भड़की हिंसा में 400 लोगों की जान जा चुकी है.