देश की रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों के पास भारी मात्रा में बख्तरबंद गाड़ियों की कमी हैं. कश्मीर में लश्कर और जैश से लोहा ले रहे सुरक्षा बलों के जवान हो या फिर नक्सल इलाकों में नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट से जूझते सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवान हो.
गृह मंत्रालय ने राज्य सभा में जो लिखित जवाब दिया है उसके मुताबिक नक्सली इलाकों में तैनात अर्धसैनिक बलों के जवानों के पास बख्तरबंद गाड़ियों की कमी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक BSF को 224 ऐसे बख्तरबंद गाड़ियों को खरीदने की इजाजत दी गई थी लेकिन उनके पास महज ऐसे 24 बख्तरबंद गाड़ियां हैं.
ठीक इसी तरीके से सीआरपीएफ को 668 बख्तरबंद गाड़ियां खरीदने की इजाजत दी गई लेकिन उसके पास महज 126 ऐसी गाड़ियां हैं.
सीआरपीएफ और BSF समेत अर्धसैनिक बलों के जवान लंबे वक्त से नक्सल इलाकों में तैनात हैं जहां पर नक्सली अक्सर घात लगाकर के इन जवानों पर हमले करते हैं सड़कों के नीचे जमीन में दबाकर IED रखी जाती है. जिससे जब भी जवान अपनी गाड़ियों से इन रास्तों से गुजरते हैं वहां पर जाल बिछाए बैठे नक्सली ब्लास्ट कर देते हैं. जिससे जवानों की जान चली जाती है.
बख्तरबंद गाड़ियां IED की खतरों से हमारे जवानों की जान बचाते हैं. लेकिन जिस तरीके से हमारे जवान ऐसे बख्तरबंद गाड़ियों की कमी से जूझ रहे हैं. छत्तीसगढ़ झारखंड जैसे इलाकों में सीआरपीएफ और ITBP के जवान नक्सलियों के आतंक को खत्म करने के लिए दिन रात एंटी नक्सल ऑपरेशन कर रहे हैं और ऐसे में बख्तरबंद गाड़ियों की कमी इसकी वजह से नक्सली बड़े आसानी से हमारे जवानों को निशाना बना रहे हैं.