वर्ष 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता पर महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्य ने सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि उन्हें भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के चेहरे पर हिंसा और आतंक की इन 11 साल पुरानी घटनाओं को लेकर कोई दर्द और करुणा नजर नहीं आती.
तारा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे आश्चर्य होता है कि वह (मोदी) राजनीति में रहते हुए, मनुष्य होते हुए और गुजरात के होते हुए (दंगों के) उस हिंसक दौर के बारे में बिना दर्द दिखाये कैसे बात कर लेते हैं,’ हालांकि, दिल्ली स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की उपाध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि ‘वह मोदी पर कोई निर्णय नहीं सुना रही हैं’, क्योंकि वह उन्हें करीब से नहीं जानती हैं.
गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि में मोदी पर जारी सियासी आरोप-प्रत्यारोपों से खुद को एहतियातन अलग करते हुए तारा ने कहा, ‘मैं इस विषय में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं करना चाहती, क्योंकि मुझे सारी सियासी पार्टियां एक-सी लगती हैं. सियासी पार्टियों के पास संभावनाओं से ज्यादा सीमाबद्धता होती है.’ तारा ने कहा, ‘मैंने एक बार मोदी को गुजरात में भाषण देते वक्त दूर से देखा था. मैं उनके बारे में कोई फैसला नहीं सुना सकती. लेकिन मुझे उनके चेहरे पर उस वक्त कोई करुणा नहीं दिखायी देती, जब वह गुजरात दंगों के आतंक के संदर्भ का जिक्र करते हैं.’
वह याद करती हैं, ‘जब मैंने गुजरात के उस कांड (दंगों) के बाद शरणार्थी शिविरों का नजारा देखा, तो मुझे इतना दु:ख हुआ था कि मैं अगले छह महीने तक सो नहीं सकी थी.’ जारी
'गुजरात दंगों के दर्द से सिहर जाती हूं'
78 वर्षीय तारा ने कहा, ‘मैं एक गुजराती, एक महिला और इस लम्बी आयु तक पहुंचने के कारण (गुजरात दंगों के) दर्द से सिहर जाती हूं. ऐसे विषय में मोदी बगैर दु:ख दिखाये बोले जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मैं उनकी (मोदी की) राजनीति की बात नहीं करती. लेकिन अगर (गुजरात दंगों पर) उनका दु:ख प्रदर्शित करने वाला वाला चेहरा मेरे सामने आता, तो एक इंसान के नाते मुझे अच्छा लगता.’
यह कहे जाने पर कि मोदी भी अपने भाषणों में महात्मा गांधी का नाम लेते हैं, बापू की पोती ने फौरन प्रतिक्रिया जतायी, ‘गांधी अब सबके हैं और उनकी बात किये बिना किसी का गुजारा नहीं होगा.’ एक साक्षात्कार के दौरान गुजरात दंगों के सवाल पर मोदी द्वारा कुत्ते के पिल्ले के दुर्घटनावश कार के पहियों के नीचे आने का तुलनात्मक उदाहरण दिये जाने पर भी तारा ने आपत्ति जतायी और इस मिसाल को ‘भद्दी जुबान का इस्तेमाल’ करार दिया.
'सरकार में कोई भी आये, लेकिन उसमें करुणा और साहस हो'
तारा ने कहा, ‘वह (मोदी) कुत्ते का नाम क्यों ले रहे हैं. सृष्टि में कुत्तों का हमसे (मनुष्यों से) अधिक मूल्य है. मनुष्य सृष्टि का बहुत सामान्य जीव है. मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ जीव नहीं है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह मोदी के प्रधानमंत्री बनने की स्थिति में भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के सामने कोई खतरा देख रही हैं, ‘मैं किसी का नाम नहीं ले रही हूं, क्योंकि किसी एक का नाम लेकर दूसरों को माफ नहीं किया जा सकता. सरकार में कोई भी आये, लेकिन उसमें करुणा और साहस हो.’
उन्होंने इसी सिलसिले में आगे कहा, ‘जो भी सरकार में आये, वह निर्भीक हो और सत्ता की सीमाबद्धता में न बंधे. उसमें इतनी हिम्मत हो कि अगर वह जनता से कोई वादा पूरा न कर सके, तो इसकी जिम्मेदारी लेते हुए गद्दी छोड़ सके.’ तारा ने एक सवाल पर कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून देश की जरूरत हैं. लेकिन इन अहम कानूनों का दुरुपयोग रोकना सरकार के साथ-साथ नागरिकों की भी जिम्मेदारी है.