पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान और तहरीक-ए-इंसाफ के मुखिया इमरान खान ने आज तक से सीधी बात में भारत-पाक संबंधों से लेकर क्रिकेट पर बेबाक जवाब दिए. हालांकि आतंक के सवाल पर इमरान ने कश्मीर राग अलापा. हाफिज सईद पर कार्रवाई के सवाल पर इमरान ने कहा कि हम भारत के हुक्म पर किसी को भी नहीं पकड़ सकते. पढ़ें इमरान खान से पूरी बातचीत.
भारत और पाकिस्तान में हो रही बातचीत की नई कोशिशों पर..
कोई नहीं कह सकता कि ये बातचीत कहां तक जाएगी. पहले भी बात आगे तक बढ़ी है लेकिन फिर कुछ न कुछ हो जाता है. मैं दुआ करूंगा कि दोनों देशों में आपसी संबंध बेहतर हों. बातचीत आगे बढ़े इसकी जिम्मेदारी दोनों ही तरफ के नेतृत्व पर है. उनका विजन ही तय करेगी कि बातचीत कितनी आगे बढ़ेगी.
जब भी भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया तब वहां से गोले चले...
यहां हो सकता है लोग ऐसा सोचते हों लेकिन पाकिस्तान में यह माना जाता है कि जब तक कश्मीर पर बात नहीं होती और उसका हल नहीं निकलता तब तक शांति स्थापित नहीं हो सकती.
मनमोहन दौर के समय की बातचीत का क्रम बढ़ाया जाना चाहिए?
दोनों मुल्क में थोड़े से लोग हैं जो नहीं चाहते कि दोनों देशों के संबंध बेहतर हों. लेकिन आवाम दोनो तरफ बेहतर रिलेशन चाहती है. यह सब नेतृत्व की कमी है. बातचीत के दौरान थोड़ी बाधा हो जाती है तो पूरी प्रक्रिया रुक जाए यह कहां की समझदारी है.
पाक आतंकवाद पर लगाम लगाने के बजाए कश्मीर राग क्यों अलापता है?
आतंकवाद भी कश्मीर से जुड़ा मसला है. कश्मीर समस्या का हल आतंकवाद को खत्म करने के लिए भी जरूरी है. अगर दोनों तरफ के नेता अपने आवाम को यह समझाने में सफल हों कि संबंध बेहतर होने से दोनों देश तरक्की करेंगे तो बातचीत सफल हो सकती है. गरीबी खत्म करने के लिए भी जरूरी है कि दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू हो.
भारत ने पाक को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया लेकिन पड़ोसी का रवैया उल्टा रहा है
देखिए सीमा के दोनों तरफ अलग-अलग किस्म की धारणाएं हैं. दोनों देशों के नेताओं को चुपचाप मिलने की जरूरत क्या है. उन्हें अपने लोगों को समझाने की जरूरत है कि रिश्ता बेहतर होने से क्या फायदा होगा. दोनों ही मुल्कों की सबसे बड़ी समस्या तो गरीबी है. हम चाहते हैं कि भारत के साथ व्यापार शुरू हो. पाकिस्तान में आधे से ज्यादा लोग गरीब हैं.
आप हाल ही में PM मोदी की आलोचना करते रहते हैं..
जिस तरह का जनादेश मोदी को मिला उनसे अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. मोदी को जनादेश के बाद अपनी नीतियां बदल लेनी चाहिए. जैसे वाजपेयी ने किया था. जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान में डर का माहौल था कि अब क्या होगा. लेकिन उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. उस समय मैं मानता हूं कि वार्ता विफल रहने में पाकिस्तान की गलती थी.
क्या सेना का दबाव है बेहतर रिश्तों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा?
रहील शरीफ पाकिस्तानी फौज के प्रमुख हैं. आर्मी चीफ के मुताबिक फौज की नीतियां बदलती हैं. शरीफ पाकिस्तान में काफी लोकप्रिय हैं. आतंकियों के खिलाफ कड़ाई से लड़े हैं. पिछले साल पेशावर के आर्मी स्कूल में उस बर्बर आतंकी हमले के बाद उन्होंने बिना कोई भेदभाव बरते सभी आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोला है. हालात अब काफी बेहतर हुए हैं.
हाफिज सईद जैसे लोग रोजाना भारत के खिलाफ आग उगल रहे हैं, कई आतंकी संगठन पाकिस्तान में रह कर भारत के खिलाफ युद्धे छेड़े हुए हैं उन पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई?
हम भारत के हुक्म पर किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकते. अगर किसी को अपराधी साबित करना है तो उसके लिए सबूत पेश करना होगा. शरीफ ने पहली बार उन लोगों पर कार्रवाई की जिन पर कोई हाथ नहीं डालता था. मैं अगर प्रधानमंत्री होता तो उनसे बात करता कि देखिए देश में जिस किस्म की गरीबी है ऐसे में हमें व्यापार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. जहां तक हाफिज सईद की बात है तो देखिए किसी को गिरफ्तार करने से पहले उसके खिलाफ सबूत जुटाने होते हैं.
पाकिसतान और भारत के बीच क्रिकेट सीरीज होनी चाहिए?
बिल्कुल होनी चाहिए. पूरी दुनिया के लोग इसका इंतजार करते हैं. मैंने खुद क्रिकेट खेला है इसलिए मैं जानता हूं कि दोनों देशों इससे कमाई दोनों बोर्ड को होगी. न होना जुल्म है
हर पाकिस्तानी मुंबई अटैक की निंदा करता है.
आपकी पूर्व पत्नी रेहम खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इमरान चाहते थे कि मैं बस घर में रहूं और चपाती बनाऊं. इस पर आपकी काफी आलोचना भी हुई.
मैंने उस इंटरव्यू में कहा कि रेहम एक वर्किंग वुमन हैं और मुझे उनकी सबसे अच्छी बात ही यही लगती है कि उन्होंने काम भी किया बच्चे भी बड़े किए. वो एक मजबूत औरत हैं. जाहिर है ऐसा तो नहीं हो सकता कि मुझे उनके बारे में पहले यह पसंद था बाद में मैं उन्हें घर में रहने को मजबूर करूं. जब किसी का भी तलाक होता है तो वह एक निजी त्रासदी होती है. इंसान टूट जाता है. मैं इस मसले पर और कोई बात नहीं करना चाहता.