केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने ‘आजतक’ के फ्लैगशिप शो ‘सीधी बात’ में शिरकत की और कई अहम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी. इस दौरान उन्होंने एनडीए में बने रहने से लेकर दलितों के गुस्से और अंबेडकर के मसले पर मशहूर एंकर श्वेता सिंह के सवालों के खुलकर जवाब दिए.
साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा बने रहने के सवाल पर लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख पासवान ने कहा कि अगर सम्मान पर ठेस पहुंची, तो हम किसी के बंधुआ मजदूर नहीं हैं. उनसे पूछा गया कि क्या आपकी पार्टी साल 2019 में एनडीए का हिस्सा रहेगी? आपने कहा था कि बीजेपी को अपने सहयोगियों पर ध्यान देना चाहिए? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, ''बिल्कुल एनडीए का हिस्सा रहेंगे. जहां तक सहयोगियों पर ध्यान देने की बात है, तो यह हमने नहीं बेटे चिराग पासवान ने कही थी.''
उन्होंने कहा कि हम लोग बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायी हैं. बाबा साहेब ने भी कहा है कि सब लोग सम्मान के साथ रहो. जब सम्मान पर ठेस पहुंचती है, तो हम किसी के बंधुआ मजदूर तो नहीं हैं ना. हम किसी को छोड़ते नहीं हैं, किसी से नाराजगी भी नहीं रहती है. इस दौरान पासवान ने यह भी दावा किया कि साल 2019 में भी नरेंद मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद से अब तक देश में जितने भी काम हुए, उन सबकी तुलना की जाए तो प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का काम सब पर भारी रहेगा. रामविलास पासवान को राजनीति के अहम दलित चेहरों में से एक माना जाता है. पासवान कई दशकों से देश और बिहार की सियासत में खास जगह बनाए हुए हैं.
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि अंबेडकर की मूर्ति लगाना, योजनाओं का नाम रखना, ये सारी चीज़ें क्या सांकेतिक राजनीति नहीं हैं क्या? इस पर पासवान ने कहा, “योजनाओं में जैसे जनधन योजना है, उसमें किसका खाता नहीं था. 100 प्रतिशत अनुसूचित जाति (SC) के लोगों का खाता नहीं था. आज उनका खाता खुल गया. मुद्रा योजना है, सवा लाख बैंकों को कहा गया कि आप प्रत्येक बैंक में से एक दलित महिला, एक दलित पुरुष को बिजनेसमैन बनाओ, फिक्की के मुकाबले में डिक्की आ गया है, जितने काम हुए हैं वो सारा का सारा गरीबों के हक में है.”
इस दौरान देश में दलितों के गुस्से के सवाल पर पासवान ने कहा, “दलित का गुस्सा स्वाभाविक है. हमारी जनरेशन और चिराग पासवान की जनरेशन दोनों में बुनियादी फर्क है. हमारी जनरेशन के लोग थे, जिन्होंने जुल्म को सह लिया और गाली को सुन लिया, लेकिन जो नई जनरेशन के लोग हैं, वो इज्जत और सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं. वो टूट सकते हैं, लेकिन झुकने को तैयार नहीं हैं. आजादी के बाद से जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, बाबा साहब अंबेडकर के विचार मुखर होकर सामने आ रहे हैं.