गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों की घोषणा पर छिड़ी राजनीतिक बहस के बीच केंद्र में एनडीए के सहयोगी दल शिवसेना ने वीर सावरकर को भारत रत्न न दिए जाने को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों लिया है. शिवसेना ने कहा है कि हिंदू राष्ट्र की संकल्पना करने वाले और स्वाधीनता संग्राम में अभूतपूर्व त्याग करने वाले वीर सावरकर को जनभावना के बावजूद भारत रत्न न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है.
शिवसेना ने अपने अखबार सामना में लिखे संपादकीय में आरोप लगाया है कि कांग्रेसी शासन में वीर सावरकर की उपेक्षा और अपमान हुआ. लेकिन मोदी सरकार ने उस अपमान का बदला लेने के लिए क्या किया? विरोधी दल में रहते समय बीजेपी के लोग वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का आग्रह करते थे. लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में राम मंदिर नहीं बना और वीर सावरकर को भारत रत्न भी नहीं मिला, यह दुर्भाग्य है. शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि पीएम मोदी दिसंबर के आखिरी हफ्ते में अंडमान गए थे. जहां उन्होंने वहां की सेल्युलर जेल, जिसमें वीर सावरकर ने काला पानी की सजा काटी थी, कुछ पल गुजारे थे और आंख मूंदकर चिंतन किया था. वो चिंतन अंडमान के सागर में बह गया.
गौरतलब है कि इस गणतंत्र दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, समाजसेवक नानाजी देशमुख और संगीत के क्षेत्र में भूपेन हजारिका को देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. शिवसेना ने कहा कि कांग्रेसी परिवेश में तैयार हुए वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की जिस योग्यता का गुणगान अब मोदी सरकार कर रही है उसी योग्यता का खयाल रखते हुए शिवसेना ने प्रणव मुखर्जी को उस समय समर्थन दिया था जब वे राष्ट्रपति का चुनाव लड़े थे. तब बीजेपी ने हमारा विरोध किया और उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार भी मैदान में उतारा.
शिवसेना ने सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि प्रणब बाबू राजनीति, प्रशासन के मार्गदर्शक, भीष्म पितामह हैं और राष्ट्रपति पद के दौरान उन्होंने हमें संभाला था. फिर इतने महान व्यक्तित्व को मोदी सरकार ने दोबारा मौका दिया होता तो यह चुनाव निर्विरोध हुआ होता. लेकिन दूसरी बार उसी महान योग्यता के स्थान पर रामनाथ कोविंद की नियुक्ति हुई. तब नकारे गए प्रणब मुखर्जी आज मोदी राज में भारत रत्न ठहराए गए. ऐसा करके बीजेपी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि शिवसेना का राष्ट्रपति के तौर पर प्रणब मुखर्जी का समर्थन सही था.
हालांकि शिवसेना ने कहा है कि जिन्हें भी पद्म पुरस्कार और भारत रत्न दिया गया है वे अपने-अपने स्थान पर योग्य है. लेकिन बार-बार मांग होने और जनभावना तीव्र होने के बावजूद स्वतंत्राता सेनानी सावरकर को भारत रत्न सम्मान क्यों नहीं मिला? वीर सावरकर में ऐसी क्या कमी दिखाई दी कि मोदी सरकार उनका सम्मान नहीं कर सकी.
शिवसेना के अलावा देश के सर्वोच्च पुरस्कार पर जारी बहस में एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं. ओवैसी ने सवाल उठाए हैं कि अब तक जिन लोगों को भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया है उसमें से कितने दलित-मुस्लिम या आदिवासी हैं? ओवैसी के अलावा भारत रत्न के मुद्दे पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा कई अन्य नेता भी सवाल उठा चुके हैं.