सियासी गलियारों में घमासान मचाने वाले मसरत आलम ने अपनी जिंदगी के 42 में से 17 साल जेल में बिताए हैं. कश्मीर को आजाद कराने की लड़ाई में मसरत जेल गया और जम्मू कश्मीर सरकार ने लंबे समय बाद उसे रिहा किया. मसरत ने कहा है कि अभी उसकी लड़ाई जारी रहेगी और वो सही मायने में कश्मीरवालों का भला चाहता है.
मसरत ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, 'सईद सरकार या किसी ने मेरा कोई फेवर नहीं किया है. मुझे कानून के तहत रिहाई मिली है. मैं पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार हुआ था. मुझे अपने खिलाफ 27 मामलों में जमानत मिली है.'
'पूर्व सीएम ने बताया था सुरक्षा के लिए खतरा'
मसरत से जब कहा गया कि पूर्व सीएम ने उसे सुरक्षा के लिए खतरा बताया था और उसके प्रोटेस्ट के चलते 2010 में राज्य में कई युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इस पर मसरत ने कहा, 'आर्म्ड फोर्स ने लोगों को मारा था. लोगों पर गोलियां बरसायी गईं थी. अगर लगता है इसमें मेरा हाथ है तो मैं अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए तैयार हूं. दुनिया को पता चलना चाहिए कि कैसे 120 युवाओं की हत्या हुई थी. मैं आतंकवादी नहीं हूं और ना ही प्रोटेस्ट करने वाले लोग आतंकवादी थे. 10 लाख लोग ईदगाह मैदान पर इकट्ठा हुए थे. क्या मैंने उन सब को भड़काया था. वो सब आजादी चाहने वाले थे, जो अपना अधिकार चाहते थे. मैं कोई ओसामा बिन लादेन नहीं हूं. मैं खुद आजादी चाहने वाला हूं और इस सपने के लिए मैंने जेल में 17 साल बिताए हैं. मेरे जैसे हजारों लोगों ने इस सपने के लिए ऐसा किया है. कश्मीर में रहने वाले लोग भारत का हिस्सा नहीं बने रहना चाहते हैं.'
'लोग हत्या का विरोध कर रहे थे'
मसरत ने कहा, 'लोग हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे. एक हत्या हुई और उसकी वजह से दूसरी. 2010 में कश्मीर का दौरा करने वाली पार्लियामेंट्री कमिटी ने भी माना था कि 2010 का विद्रोह सही था. इस कमिटी में मौजूदा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी शामिल थीं. प्रधानमंत्री ने पार्लियामेंट में कहा कि कश्मीर की समस्या अनोखी है और इसका इलाज भी अलग है.'
'अगर सरकार को लगता है कि कश्मीर के लोग साथ हैं तो कराए रेफरेंडम'
मसरत ने कहा, 'अगर भारत सरकार इतनी ही आश्वस्त है कि जम्मू कश्मीर के लोग भारत का हिस्सा बने रहना चाहते हैं तो रेफरेंडम कराए. रेफरेंडम के जरिए यह मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. वो इससे भागते क्यों हैं? अगर लोगों को लगता है कि मेरे जैसे लोगों से ही समस्या है तो रेफरेंडम कराया जाए. हम फैसले का सम्मान करेंगे.'
मसरत ने कहा, 'लोगों की भावनाएं अभी भी वही हैं. 2008 में भी चुनाव हुए और लोगों ने वोट किया लेकिन 2010 में विरोध प्रदर्शन फिर हुआ. चुनाव और वोटिंग का इससे कोई मतलब नहीं कि कश्मीरी भारत का हिस्सा बने रहना चाहते हैं या नहीं.'
जब मसरत से पूछा गया कि जेल से बाहर आने के बाद उसका प्लान क्या है तो उसने जवाब दिया, 'मैं एक छोटी जेल से बड़ी जेल में आया हूं. कश्मीर को आजाद कराने के सपने पर काम करता रहूंगा. सैयद अली शाह गिलानी हमारे अगुवा हैं उनके साथ हम आगे की स्ट्रैटजी बनाएंगे.'
पीडीपी के बारे में मसरत ने कहा, 'सभी राजनीतिक पार्टियां एक जैसी हैं.'