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पुलिस की वर्दी पहन बांस और चद्दर के सहारे जेल अस्पताल से भागा सीरियल रेपिस्ट शंकर

सीरियल रेपिस्ट शंकर शनिवार रात बेंगलुरू की सेंट्रल जेल से भाग गया.कैसे भागा. समझिए कि एक डुप्लीकेट चाबी से पहला लॉक खोला, पुलिस की वर्दी पहनी, एक बांस और एक फटी चादर के सहारे तीन दीवारें फांदी और भाग गया.

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सीरियल रेपिस्ट शंकर भागा इस जेल से
सीरियल रेपिस्ट शंकर भागा इस जेल से

नाम, एम जयशंकर उर्फ शंकर, उम्र 36 साल, शादीशुदा और तीन बच्चियों का बाप, पेशे से ट्रक ड्राइवर, तमिलनाडु के सलेम का रहने वाला, जुर्म 30 केस रेप के और 15 मर्डर के.

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सीरियल रेपिस्ट शंकर शनिवार रात बेंगलुरू की सेंट्रल जेल से भाग गया.कैसे भागा. समझिए कि एक डुप्लीकेट चाबी से पहला लॉक खोला, पुलिस की वर्दी पहनी, एक बांस और एक फटी चादर के सहारे तीन दीवारें फांदी और भाग गया. शंकर को पता था कि बाहर की दीवार पर लगी लोह की बाड़ पर दो दिनों से करंट नहीं दौड़ाया जा रहा है. अब इस मामले में जेल के 11 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

महिला पुलिस कॉन्स्टेबल का रेप और मर्डर

बेंगलुरू की बाहरी सीमा पर परप्पना अग्रहारा इलाके में बनी हैं सेंट्रल जेल. इसमें रहते हैं कुल 4 हजार कैदी.इन्हीं में से एक था शंकर. शंकर ने तमिलनाडु के कई जिलों में लगातार वारदातें कीं. पहले वह औरतों का रेप करता और फिर उन्हें जान से मार देता.

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19 अक्टूबर 2009 को शंकर को जब तमिलनाडु पुलिस ने पकड़ा, तब वह एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल का रेप और मर्डर कर फरार था. उसे कोयंबटूर जेल में रखा गया. वहां से 17 मार्च 2011 को वह कोर्ट से सुनवाई से लौटते समय फरार हो गया. जिस कॉन्स्टेबल चिन्नास्वामी पर शंकर को कोर्ट से लाने का जिम्मा था, वो इस फरारी से इतना परेशान हो गया कि दो दिन बाद उसने आत्महत्या कर ली. मई 2011 में उसे कर्नाटक पुलिस ने जल्की कस्बे से पकड़ा.उसके बाद से वह बेंगलुरू सेंट्रल जेल में बंद था. गिरफ्तारी के समय पुलिस ने उस पर 10 लाख का ईनाम घोषित कर रखा था.

पागल है शंकर, कहा पुलिस ने और शुरू हुआ इलाज

शंकर ट्रक चलाता था और अकसर हाईवे पर वेश्यावृत्ति करने वाली औरतों को अपना निशाना बनाता था.पुलिस ने जब उसे पकड़ा और उसकी जांच करवाई तो पता चला कि वह पागल है. इसी बिना पर उसका दिमागी अस्पताल में इलाज शुरू हुआ.शनिवार को शंकर बेंगलुरू से 80 किलोमीटर दूर तुमकूर की कोर्ट में पेशी के लिए गया. जब वह लौटकर आया, तो उसने तबीयत खराब होने की बात कही. इस पर उसे जेल के अस्पताल में भर्ती कर दिया गया.

जेल में गई बिजली और गायब हो गया शंकर

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शनिवार की रात को जेल में बिजली चली गई. अस्पताल में भी इमरजेंसी वॉर्ड में ही पर्याप्त रौशनी थी. शंकर इसी मौके की तलाश में था. उसने डुप्लीकेट चाबी का इस्तेमाल किया और अस्पताल के वॉर्ड से बाहर निकल गया. इस दौरान उसने पुलिस की वर्दी पहन ली. उसके पास एक बांस और एक फटी चादर थी. इसके सहारे शंकर ने 15 फीट की दो दीवारें लांघीं. आखिरी दीवार 30 फीट ऊंची थी, यहां भी वो बांस के सहारे चढ़ गया. अमूमन इस दीवार के ऊपर लगी लोहे की बाड़ में करंट दौड़ता रहता है. मगर दो दिनों से बारिश हो रही थी. इसलिए तारों में बिजली का कनेक्शन रोक दिया गया था. शंकर को ये बात पता थी. ऊपर पहुंचकर दूसरी तरफ वो चद्दर के सहारे उतरा. फिर उसे कूदना पड़ा. इस दौरान उसके पैर में चोट भी लगी होगी क्योंकि उस जगह पर पुलिस को अगली सुबह खून के धब्बे मिले. पुलिस को शंकर के भाग जाने की खबर अगले दिन सुबह कैदियों की गिनती के दौरान मिली.

 

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