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सीवर की सफाईः हर पांच दिन में जाती है एक की जान, अब रोबोट करेगा ये काम

मैनुअल रूप से एक सीवर को साफ करने में तीन से चार घंटे लगते हैं. वहीं यह रोबोट 20 मिनट में ही अपना काम खत्म कर देता है. यह रोबोट एक दिन में 10 मैनहोल को साफ करने की क्षमता रखता है.

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सीवर की सफाई के लिए रोबोट
सीवर की सफाई के लिए रोबोट

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सीवर की सफाई करते हुए मजदूरों की जान जाने की दुर्घटनाएं आम हो गई हैं. आंकड़े बताते हैं कि हर पांच दिन में एक मजदूर की जान सीवर साफ करने के दौरान चली जाती है. कई बार ऐसा हुआ है कि एक मजदूर पहले जहरीली गैस की चपेट में आता है फिर उसे बचाने के चक्कर में दूसरों की भी जान चली जाती है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, सीवर की सफाई के लिए एक रोबोट तैयार किया गया है. इसके आने से अब मजदूरों को सीवर में उतरने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. दिल्ली से सटे गुरुग्राम में इस तरह का एक रोबोट आ भी गया है.

रिस्क उठाकर होती है सीवर की सफाई

ज्यादातर सीवर साफ करने वाले मजदूर सीवर साफ करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं. वे कमर से एक रस्सी बांधकर, हाथ में बाल्टी और फावड़े के साथ सीवर साफ करने के लिए उतरता है. जो सुरक्षा की नजर से बिलकुल सुरक्षित नहीं है. यही नहीं उन मजदूरों के लिए खतरे काम है. सीवर में काम करने से लगातार त्वचा संक्रमण, श्वसन विकार से जूझना पड़ता है. मौत का जोखिम उठाकर ये अपनी रोजी रोटी की व्यवस्था करते हैं.

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क्या कहते हैं आंकड़े

2011 की जनगणना में पाया गया कि भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग के 7.94 लाख मामले सामने आए हैं. वहीं 2017 के बाद से हर 5 दिन में सीवर साफ करने के दौरान एक मृत्यु हो जाती है. सफाई कर्मचारियों के संगठन के अनुसार 2016 और 2018 के बीच दिल्ली में ही 429 मौतें हुईं.

कुछ दिनों पहले ही वडोदरा में सीवर की सफाई के दौरान 7 लोगों की मौत हो गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पेश करते समय कहा था कि जान बचाने के लिए सबसे बेहतर तरीका है रोबोट को सफाई के लिए इस्तेमाल करना. गुरुग्राम नगर निगम ने ऐसा रोबोट मंगा लिया है. यह रोबोट मानव-नियंत्रित, अर्ध-स्वचालित रोबोट है. शहर के सीवरों की सफाई करेगा.

जानकारी मिली है कि इस नई परियोजना के तहत ऐसे ही और भी रोबोट तैयार किए जाएंगे. यह रोबोट तिरुवनंतपुरम स्थित जेनरोबोटिक्स द्वारा विकसित किया गया है. इसका उद्देश्य मैनुअल स्केवेंजिंग की गलत प्रथा को खत्म करना है. इसके साथ ही सीवर की सफाई करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.

एमसीजी अधिकारियों ने केरल में जेनरोबोटिक्स उत्पादन सुविधा का दौरा किया. उन्होंने गुरुग्राम के मैनहोल के आयामों के अनुकूल बनाया और इसका परीक्षण भी किया. इस रोबोट की खासियत है कि सीवर में शारीरिक रूप से प्रवेश किए बिना इसे बटनों के सहारे चलाया जा सकता है.

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कैसे हैं रोबोट, क्या है इसमें खास

यह रोबोट एक पोर्टेबल जनरेटर और कंप्रेसर से जुड़ा होता है. इसकी लंबाई लगभग 1.5 मीटर है.  रोबोट का वजन लगभग 80 किलोग्राम है और गहराई तक जाकर सफाई कर सकता है. एक मानव ऑपरेटर मैनहोल के पास रहकर और नियंत्रण कक्ष पर रंगीन बटन के जरिए सीवर के अंदर के रोबोट को नेविगेट करता है. रोबोट के हाथ मैनहोल के अंदर जाकर ठोस इकट्ठा करते हैं. जबकि रोबोट के 'पैर' मशीन को स्थिर करने में मदद करते हैं. इसमें सीवर के अंदर गैसों के स्तर को मापने के लिए सेंसर, रात के समय उपयोग के लिए लाइट्स और वाटरप्रूफ इंफ्रारेड वॉच के साथ साथ अंदर के दृश्यों को देखने के लिए कैमरा भी मौजूद है.

मैन्युअल रूप से एक सीवर को साफ करने में तीन से चार घंटे लगते हैं. वहीं यह रोबोट 20 मिनट में ही अपना काम खत्म कर सकता है. यह रोबोट एक दिन में 10 मैनहोल को साफ करने की क्षमता रखता है. वर्तमान में इसकी कीमत 32 लाख रूपए है. लेकिन टीम इस लागत को और कम करने पर काम कर रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब किसी को सीवर के अंदर जाने की जरूरत नहीं है, इसलिए गैसों के संपर्क में आने का खतरा भी नहीं है.

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