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लिंग परीक्षण विज्ञापनों पर गूगल-याहू-माइक्रोसॉफ्ट से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापनों पर रोक नहीं लगाने के लिए गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है. जस्टिस दीपक मिश्रा व आर. भानुमति की पीठ ने मंगलवार को साबू मैथ्यू जार्ज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इन कंपनियों को नोटिस जारी किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापनों पर रोक नहीं लगाने के लिए गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है. जस्टिस दीपक मिश्रा व आर. भानुमति की पीठ ने मंगलवार को साबू मैथ्यू जार्ज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इन कंपनियों को नोटिस जारी किया . जार्ज के वकील संजय पारिख ने अदालत को बताया कि दुनिया के सभी देशों में सर्च इंजनों को कुछ सूचनाएं देने से रोका जाता है.

ब्लॉक करने के दिए थे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को ऐसा कोई विज्ञापन नहीं दिखाने को कहा था, जिससे 'गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम-1984' का उल्लंघन होता हो. अब जार्ज ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि अदालती आदेश के बावजूद इन सर्च इंजनों पर लिंग निर्धारण के विज्ञापनों को ब्लॉक नहीं किया गया है. इससे पहले भी अदालत ने जार्ज की याचिका पर ही विज्ञापन नहीं दिखाने का निर्देश दिया था.

आदेश के उलंलघन का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया था कि ये कंपनियां कोर्ट के निर्देशों और कानून का उल्लंघन करते हुए लगातार भ्रूण के लिंग निर्धारण सम्बन्धी प्रचार को प्रसारित कर रहीं हैं. सुनवाई के दौरान यह दलील रखी गई कि पूरी दुनिया में सभी जगह सर्च इंजन कंपनियां स्थानीय कानून के मुताबिक कंटेट को दिखाती हैं और ऐसे कंटेट को ब्लॉक कर देती हैं जो वहां के कानून के खिलाफ हो , लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.

कानून के पालन का मसला
गौरतलब है कि हाल ही में इस मामले पर सुनवाई के दौरान इन कंपनियों द्वारा तकनीकी समस्या का हवाला दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया था कि वे ऐसे किसी भी विज्ञापन को स्पॉन्सर ही न करें जो PCPNDT ऐक्ट 1994 की धारा 22 का उल्लंघन करता हो.

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