सेक्स एजुकेशन वाले बयान पर बवाल के बाद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस पर सफाई जारी की है. बयान से पलटते हुए उन्होंने कहा कि वह सेक्स शिक्षा नहीं बल्कि अश्लीलता के खिलाफ हैं.
गौरतलब है कि डॉ. हर्षवर्धन ने स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को प्रतिबंधित किए जाने की वकालत की थी. उन्होंने यह बात अपनी वेबसाइट drharshvardhan.com पर लिखी थी. हालांकि विवाद खड़ा होने के बाद डॉ. हर्षवर्धन ने इस बयान से पलटी मार ली. उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर एक बयान जारी करके कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला गया.
उन्होंने लिखा, 'मैं सेक्स एजुकेशन का पक्षधर हूं. तथाकथित सेक्स एजुकेशन से मेरा मतलब अश्लीलता से था. मैं एक मेडिकल प्रोफेशनल हूं जिसने तर्कवाद को अपनाया है और मैं तहे दिल से ऐसी शिक्षा का समर्थन करूंगा जो वैज्ञानिक और सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य हो.’
फिलहाल अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए मंत्री ने कहा कि लोगों को आघात पहुंचाने वाले किसी भी चीज को खारिज किया जाना चाहिए और इसकी जगह उन्हीं पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाना चाहिए जिस पर आपसी सहमति हो.
हर्षवर्धन ने साफ किया कि उनकी वेबसाइट पर लिखा गया विचार पूरी तरह से उनका खुद का विचार है और किशोर शिक्षा कार्यक्रम को अपने मूल रूप में पेश करने के 2007 के यूपीए के फैसले के संबंध में दिया गया.
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस बयान में कहा है कि यहां तक कि यूपीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी और फिर इसमें संशोधन किया गया.
वर्धन ने कहा कि 2013 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में शासन की अन्य चीजों सहित शिक्षा को पारदर्शी बनाने का उद्देश्य निर्धारित करने के लिए उनके पास पूरा अधिकार था.