एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोपी आसाराम की जमानत याचिका पर शुक्रवार को अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने फैसला शनिवार तक सुरक्षित रख लिया. आसाराम सितंबर 2013 से जोधपुर की जेल में बंद हैं.
अदालत में आसाराम की जमानत याचिका पर पैरवी के लिए बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी पेश हुए. याचिका पर शुक्रवार को एक घंटे तक बहस हुई, जिसके बाद अदालत ने 20 जून तक के लिए फैसले को सुरक्षित रख लिया.
सुब्रह्मण्यम स्वामी 26 मई को जोधपुर पहुंचने वाले थे, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी के कारण मामले को छह बार स्थगित करना पड़ा. स्वामी ने कहा, 'मैंने अपनी ओर से पूरी कोशिश की है और उम्मीद है कि उन्हें जमानत मिल जाएगी.' उन्होंने कहा कि अगर जमानत याचिका खारिज होती है, तो वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि आसाराम के खिलाफ गैर-धार्मिक ताकतों ने झूठे आरोप लगाए हैं और पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है.
आसाराम को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर, 2013 को जोधपुर लाया गया था. दो सितंबर 2013 से वह जोधपुर के केंद्रीय कारागार में बंद हैं.
आसाराम के खिलाफ जोधपुर स्थित उनके आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए 16 वर्षीय एक लड़की ने पुलिस मे शिकायत दर्ज कराई थी.
अपनी शिकायत में नाबालिग लड़की ने आरोप लगाया था कि आसाराम के सहयोगियों ने उसे जोधपुर आश्रम में यह कहकर भेजा था कि उसके ऊपर बुरी आत्मा का प्रभाव है और वह (आसाराम) बुरी आत्मा को दूर भगा सकते हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले आसाराम की जमानत याचिका राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है.