महिला कर्मचारी से यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी यूएन साइंटिस्ट पैनल के पूर्व सदस्य आरके पचौरी को बुधवार को अस्पताल में भर्ती किया गया है. पचौरी की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें अस्पताल ले जाया गया है. उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर 26 फरवरी को सुनवाई होनी है. पचौरी ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दिया था, जबकि सोमवार को उन्होंने हाई कोर्ट में दायर अपनी जमानत की अर्जी वापस ले ली थी.
पचौरी की एक महिला सहकर्मी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने उसे ई-मेल और व्हाट्सएप पर आपत्तिजनक संदेश भेजे. युवती ने लोधी कॉलोनी पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा कि उसके बार-बार मना करने के बावजूद पचौरी ने उसे मैसेज भेजे. सितंबर 2013 में युवती की द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) में नियुक्ति हुई थी, जिसके कुछ दिनों बाद ही पचौरी की ओर से ऐसे मैसेज आने लगे थे.
हालांकि पचौरी अब मामले में जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं. हाई कोर्ट स्टाफ ने कहा कि पचौरी की जमानत याचिका को गलती से अधिसूचित कर दिया गया था, क्योंकि उन्हें 23 फरवरी तक के लिए अंतरिम सुरक्षा देते हुए जज ने पहले ही नियमित जमानत के लिए निचली अदालत का रुख करने के लिए कह दिया था.
पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में लिए जाने के डर से पचौरी ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के बाद जस्टिस गर्ग ने 19 फरवरी को पचौरी को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा मुहैया कराई थी. इससे पहले आदेश जारी करते हुए अदालत ने उनके आवेदन का निबटारा कर दिया था. उसके बाद पचौरी को जमानत याचिका लेकर निचली अदालत के न्यायाधीश के सामने जाना है.
हाई कोर्ट ने 19 फरवरी को अपने पूर्व के आदेश में बदलाव कर दिया, जिसमें मीडिया घरानों को द एनर्जी ऐंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के महानिदेशक राजेंद्र कुमार पचौरी के खिलाफ शहर के एक थिंकटैंक की शोध विश्लेषक द्वारा लगाए गए आरोपों को छापने से रोका गया था. मीडिया को इस मामले के बारे में छापने से रोकने के आदेश की मांग करने वाले पचौरी ने सभी आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह हैकिंग के शिकार रहे हैं.