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'मिस्टर सिंह' जैसा सम्मान चाहिए तो पहनो पगड़ी: एसजीपीसी

दस्तार या पगड़ी पहनने के अपने अलग फायदे होते हैं. शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) इन दिनों राज्य के तमाम स्कूलों में छात्रों को पगड़ी और इसके मायने सिखा रही है. SGPC के मुताबिक पगड़ी पहनना सिख होने की निशानी है.

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Symbolic Image
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दस्तार या पगड़ी पहनने के अपने अलग फायदे होते हैं. शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) इन दिनों राज्य के तमाम स्कूलों में छात्रों को पगड़ी और इसके मायने सिखा रही है. SGPC के मुताबिक पगड़ी पहनना सिख होने की निशानी है. छात्रों को बताया जा रहा है कि पगड़ी पहनने से उन्हें ड्रग्स से दूर रहने में मदद मिलेगी. SGPC बच्चों को बता रहा है कि पगड़ी पहनने से उन्हें 'मिस्टर सिंह' का दर्जा मिलेगा और समाज में उनका मान बढ़ेगा.

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एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक SGPC ने बताया कि इस तरह से युवा हेयरड्रेसर के जरिए फैलने वाली छुआछूत बीमारियों से भी बच जाएंगे. दिसंबर 2014 से अमृतसर हेडक्वार्टर वाले SGPC के करीब 100 उपदेशक राज्य के 1000 स्कूलों का दौरा कर चुके हैं. आपको बता दें कि SGPC की अगुवाई शिरोमणी अकाली दल (SAD) करता है. 'सिखी सरूप मेरा असली रूप' अभियान के तहत छात्रों की काउंसलिंग की जा रही है. SGPC के धर्मगुरुओं की माने तो पंजाब में करीब 14,000 युवा सिख अपने बाल कटवा चुके हैं और उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है जिससे उनके अंदर की आस्था बनी रहे.

धर्मगुरु जयदेव सिंह के मुताबिक, 'हम स्कूल जाते हैं और ऐसे बच्चों को खोजते हैं जो सिख हैं और उन्होंने अपने बाल कटवा लिए हैं. हम उन्हें अलग ले जाकर उपदेश देते हैं. हम उन्हें बताते हैं कि सिख बने रहने से उन्हें समाज में ज्यादा सम्मान मिलेगा. हम दो छात्रों को लेते हैं एक पगड़ी वाले और दूसरे बिना पगड़ी वाले. हम उन्हें डेमो देते हैं कि कैसे पगड़ी पहनने वाला युवा ज्यादा हैंडसम लगता है. हम उन्हें बताते हैं कि यह स्वास्थ के लिए भी अच्छा है. क्योंकि हेयरड्रेसर के पास बाल कटवाने जाने से कैंची के जरिए कई छुआछूत बीमारियां भी हो सकती हैं.'

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वहीं अमृतसर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने बताया कि उन्हें इस अभियान की जानकारी नहीं है. यह अभियान पब्लिक और प्राइवेट दोनों स्कूलों में चलाया जा रहा है. डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (सेकेंडरी एजुकेशन) सतिंदरबीर सिंह ने कहा, 'अगर SGPC केवल सिख छात्रों को ऐसा करने के लिए कह रही है. और उन्हें उनके धर्म के बारे में बता रही है तो ये तो मोरल एजुकेशन जैसा ही है, लेकिन अगर धर्मगुरु दूसरे धर्म के बच्चों को सिख धर्म पालन करने के लिए कहते हैं तो ये गलत है. अगर ऐसा होता है तो स्कूलों में इस तरह की हरकत नहीं होनी चाहिए. स्कूल को सेकुलर होते हैं.'

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