शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में लंबे वक्त से प्रदर्शन चल रहा है. इस पर सियासत भी खूब हो रही है, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांग को लेकर वहां डटे हुए हैं. दिल्ली में प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, एनपीआर और एनआरसी के विरोध में जामिया मिलिया इस्लामिया से लेकर शाहीन बाग तक कैंडल मार्च निकाला.हाल में फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने दावा किया था कि 19 जनवरी को शाहीन बाग में कश्मीरी हिंदू नरसंहार का जश्न मनाया जाएगा.
इस दावे को खारिज करते हुए शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए कहा था कि इस तरह से सिर्फ कलह पैदा करने के लिए अफवाह फैलाई जा रही है. 19 जनवरी के इवेंट का कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार के दिन के रूप में कोई लेना-देना नहीं है.
A whatsapp message spreading false information is being circulated to Kashmiri Pandits to create discord and attack the spirit of fraternity that the movement radiates.
We stand by our Kashmiri Pandit brothers and sisters!#ShaheenBaghProtest #ShaheenBaghTruth pic.twitter.com/adM5vfKZDc
— Shaheenbaghofficial (@Shaheenbaghoff1) January 18, 2020
Dear friends,
Tomm at 5:00 PM#ShaheenBagh Protesters are celebrating Kashmiri Hindu Genocide day - 19th Jan 2019 - Just to humiliate KPs.
We request all Kashmiris/Hindus of NCR to reach #ShaheenBagh and don’t let them celebrate.if you give in now, tomm might be too late. pic.twitter.com/Q3IqbLrh3X
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) January 18, 2020
प्रदर्शनकारियों ने रविवार को कश्मीरी पंडितों के साथ एकजुटता के लिए बैठक करने का आह्वान किया. इसके लिए कश्मीरी पंडित इंदर सलीम और थिएटर हस्ती एमके रैना को आमंत्रित किया गया. इंडिया टुडे से बात करते हुए एमके रैना ने कहा कि शाहीन बाग आजादी के बाद का सबसे बड़ा गांधीवादी सत्याग्रह में से एक है. ये एक ऐसा आंदोलन है, जो हमारे देश को एक नया प्रारूप देगा.Delhi: People take out a candle march protest against #CitizenshipAmendmentAct, NPR & NRC from outside Jamia Millia Islamia to Shaheen Bagh. pic.twitter.com/qYEmTwY0q3
— ANI (@ANI) January 19, 2020
उन्होंने कहा कि हम ऐसे अनूठे देश में रह रहे हैं, जिसकी अपनी विशिष्टता है. ये प्रदर्शनकारी उस विचार को दोबारा हासिल करने के लिए दृढ़ हैं, जिसे भारत के रूप में देखा गया था. उनका विरोध एक लोकतांत्रिक और मानवीय भारत के लिए है, जिसे कुछ आरोपों से कम नहीं किया जा सकता है.'
विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट्स पर टिप्पणी करते हुए रैना ने कहा 'मुझे उनके इरादों पर संदेह नहीं है, लेकिन यह कहना चाहूंगा कि जिन लोगों को अल्पसंख्यक होने के लिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, वे केवल उन प्रदर्शनकारियों के दर्द को समझ सकते हैं, जो ठंड में विरोध करने के लिए बाहर हैं. मैंने खुद यह सब अनुभव किया है. जहां तक अग्निहोत्री और अनुपम खेर जैसे लोगों का सवाल है तो मुझे लगता है कि उनका इरादा सही होगा, लेकिन उनका दृष्टिकोण ऐसा नहीं है.
कश्मीरियों को बांट दिया गया...
वहीं, इंदर सलीम ने कहा कि कश्मीरियों को भारत-पाकिस्तान के बीच दो हिस्सों में बांट दिया गया है. मेरा यह भी मानना है कि नब्बे के दशक के शुरुआती दिनों में निहत्थे नागरिकों, मुस्लिमों और पंडितों की हत्या ने पलायन को एक संभावना बना दिया था. उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए एकजुटता एक सकारात्मक कदम है. इसे वास्तव में वामपंथी और केंद्र ने नजरअंदाज किया है और भाजपा को मौका दे दिया है.
कश्मीरी पंडितों के साथ आने से बल मिलेगा...
जामिया एलुमनाई और फिल्म निर्माता सबा रहमान पिछले एक महीने से विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं. उनका मानना है कि इस तरह की एकजुटता से बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर में संघर्ष पुराना है. कश्मीरी पंडितों के निर्वासन की त्रासदी को अक्सर राजनीतिक दलों में भुनाने की कोशिश की जाती है. अब ये संदेश देने का वक्त है कि हम इस घृणा से भरे आख्यान से विभाजित नहीं होंगे.