शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दो महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन चल रहा है. इसकी वजह से सड़क बंद पड़ी है. अब जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है तो उसने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए एक वार्ताकार पैनल का गठन कर दिया, जिनमें पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शामिल हैं.
शीर्ष कोर्ट के वार्ताकार सड़क खाली करने के सिलसिले में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बुधवार को मुलाकात कर सकते हैं. लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे मुलाकात नहीं करता और सीएए जैसे कानून को वापस नहीं लिया जाता, तब तक वो प्रदर्शन से नहीं हटेंगे.
'आजतक' से बातचीत में प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रदर्शन स्थल से हटने से इनकार कर दिया. एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा कि जब तक सीएए जैसा काला कानून वापस नहीं हो जाता तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि तमाम तकलीफों के बावजूद हम प्रदर्शन में आ रहे हैं.
वहीं दिल्ली के अबु फजल की रहने वालीं शाहाना ने कहा कि हम अपने घर में रोजाना का काम निपटा कर प्रदर्शन में आ जाते हैं. हम लगातार यहां आ रहे हैं. हापुड़ की रहने वाली और मास कॉम की छात्रा आफसा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि सड़क बंद करना हमारा अधिकार नहीं, लेकिन यहां दो महीने से दुकानें भी बंद हैं और लाखों का नुकसान हो रहा है.
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जब बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट का कहना कि सड़क जाम नहीं कर सकते तो आफसा ने कहा कि सीएए की अन्य आम कानूनों से तुलना नहीं की जा सकती है. यह वजूद का सवाल है. सरकार को हमसे बात करनी चाहिए. लेकिन उसमें इतना अहंकार भरा हुआ है कि कोई मिलने तक को राजी नहीं है. जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक यहां से नहीं हटेंगे.
एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि हम पूरे दिन यहां बैठते हैं. हम सबको घर पर छोड़ कर यहां बैठते हैं क्या वो परेशानी नहीं है? प्रदर्शनकारियों में से एक महिला ने कहा कि हम कहीं और नहीं जा रहे हैं. हम इस देश के नागरिक हैं. यहां बैठे हैं तो सरकार सुन नहीं रही है. यदि कहीं और चले जाएंगे तो कौन सुनने वाला है.
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महिला ने कहा कि ट्रैफिक का मसला छोटा है, लेकिन नागरिकता का मसला उससे बड़ा है. हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए हम यहां बैठे हैं. सिर्फ इस कानून को मुस्लिम के लिए बनाया गया है. अगर हम नागरिकता साबित नहीं कर पाए हमें ही घुसपैठिए कहा जाएगा. अगर सरकार कह दे कि वो एनआरसी नहीं लाएगी तो हम यहां से उठ जाएंगे.
सड़क खाली करने के मसले पर लक्ष्मीनगर की एक प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि मुद्दा जगह को लेकर नहीं है. सरकार का कानून खतरनाक है. रोड ब्लॉक करना बड़ा मुद्दा नहीं है. हमें भी बहुत परेशानी हो रही है, लेकिन बड़ी परेशानी को रोकने के लिए हमें छोटी परेशानी झेलनी पड़ रही है. सरकार को प्रदर्शनकारियों का ध्यान भी रखना चाहिए. ये देश का बंटवारा करने वाला कानून है.