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अमरनाथ यात्रियों पर हमला: शाही इमाम बुखारी बोले- बेगुनाहों का खून बहाना जेहाद नहीं

शाही इमाम ने बताया कि जेहाद के लिए तो शर्तें मुकर्रर की गई हैं और कहा गया है कि जेहाद उस वक्त किया जाए जब दुश्मन हमला शुरू करें, उससे पहले हमले का जवाब नहीं दिया जाए. बुजुर्गों को मारना, बच्चों का कत्ल करना, औरतों का कत्ल करना यह जेहाद नहीं है.

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शाही इमाम सैयद अब्दुल शाह बुखारी
शाही इमाम सैयद अब्दुल शाह बुखारी

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अमरनाथ यात्रियों पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में हुए आतंकी हमले से पूरा देश स्तब्ध है. इस हमले की कड़ी निंदा भी की जा रही है, ऐसे में शाही इमाम सैयद अब्दुल शाह बुखारी ने श्रद्धालुओं पर हमले को इंसानियत के खिलाफ बताया है. बुखारी ने कहा कि कोई भी मजहब आतंकवाद की इजाजत नहीं देता और जो लोग मजहब के नाम पर यह सब कुछ कर रहे हैं, वो अपने मजहब पर अमल ही नहीं कर रहे हैं.

कत्लगाह बनती जमीन की जन्नत

शाही इमाम ने कहा कि वह कश्मीर जो खुशियों की वादी कहलाता था, आज आंसुओं की वादी बन गया है. एके-47 के साए में आज कश्मीरी खौफ में जी रहे हैं. कश्मीर को जमीन की जन्नत कहा जाता था, आज वह कत्लगाह बन गई है, जहां इंसानियत का कत्ल हो रहा है. अमरनाथ यात्रा हिंदुओं के लिए एक मुकद्दस यात्रा है. उस पर हमला, फौजियों पर हमला, पुलिस पर हमला, आम लोगों पर हमला इसकी जितनी भी मजम्मत की जाए कम है.

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बेगुनाह लोगों को मारना जेहाद नहीं

बुखारी ने कहा, 'वह नाम देते हैं कि यह जेहाद है लेकिन ये इंसानियत का कत्ल है. जबकि कुरान में साफ तौर पर कहा गया है कि इंसान का कत्ल पूरी इंसानियत के कत्ल के बराबर है. चाहे हिंदू हो या मुसलमान हो, बेगुनाहों का खून बहाना जेहाद नहीं है. सभी धर्म मजहब अमन का पैगाम देते हैं और जो इंसानियत का खून बहाए वो एक कातिल है. उसका इस मजहब से ताल्लुक नहीं जिसका वो दावेदार बनता है. वो इस्लाम का दावा जरूर करते हों लेकिन इस्लाम से उनका कोई ताल्लुक नहीं है. बेगुनाह लोगों को मारना क्या जेहाद है?'

समझाया जेहाद का मतलब

शाही इमाम ने बताया कि जेहाद के लिए तो शर्तें मुकर्रर की गई हैं और कहा गया है कि जेहाद उस वक्त किया जाए जब दुश्मन हमला शुरू करें, उससे पहले हमले का जवाब नहीं दिया जाए. बुजुर्गों को मारना, बच्चों का कत्ल करना, औरतों का कत्ल करना यह जेहाद नहीं है. हरी-भरी खेतों का कत्ल करना भी जेहाद नहीं है. आप ऐसी हरकतें करके इसे जेहाद और इस्लाम का नाम देकर मुसलमानों को बदनाम कर रहे हैं. ये इस्लामी उसूलों के खिलाफ है. यह इंसानियत और कानून के खिलाफ है. ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए ताकि उनको सबक हासिल हो.

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बातचीत के लिए कश्मीर में अमन जरूरी

बुखारी के मुताबिक अगर अलगाववादियों ने अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की निंदा की है तो यह अच्छा है, लेकिन काश जब हमला आम लोगों पर होता है, पुलिस पर होता है, फौज पर होता है, जब आर्मी कैंप पर हमला होता है, बेगुनाह लोगों को मारा जाता है तो उस वक्त उसकी भी निंदा करें और उसे कहें कि यह भी गलत है. उन्होंने कहा कि जेहाद के नाम पर जो लोग वहां दहशत फैला रहे हैं, उन लोगों से भी यह अपील करें  कि वे माहौल को अमन में बदलें ताकी बातचीत का माहौल बन सके. बातचीत तो तभी होगी और कश्मीर मसले का हल तभी निकलेगा जब कश्मीर में अमन होगा.

नफरत का माहौल बर्दाश्त नहीं

सैयद अब्दुल शाह बुखारी ने कहा, 'आप कश्मीर के कुंए में बैठकर ये सब करते रहें और उसका खामियाजा हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमान भुगतते रहें. यहां पर नफरत का माहौल पैदा हो, हम इसको बर्दाश्त नहीं करेंगे. एक तरफ बेगुनाह लोगों को सुबह-शाम मार रहे हैं, मस्जिदों के बाहर उनका कत्ल कर रहे हैं और घर में घुसकर कत्ल कर रहे हैं तो क्या यह जायज है? आप उसको भी कहिए कि वह गलत है. अमरनाथ हमले को गलत कहें व उन घटनाओं पर आप चुप रहें और आईएसआई जैसी आतंकी संगठनों की आप हिमायत करें, इसको हिंदुस्तान का मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा. मैं इन तमाम वारदातों की मजम्मत करता हूं.'

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