साईं बनाम शंकराचार्य विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. केंद्रीय मंत्री उमा भारती की सफाई के बाद भी शंकराचार्य स्वरूपानंद की नाराजगी कम नहीं हुई है. हरिद्वार में इस मुद्दे पर हुए संत सम्मेलन में उमा को मोदी मंत्रिमंडल से हटाने की मांग उठी. बैठक में शंकराचार्य ने कहा कि चिट्ठी से काम नहीं चलेगा. उमा ने अपने बयान पर माफी नहीं मांगी है. वह अब भी इस पर कायम है. उमा आकर इस मुद्दे पर बात करें.
संतों की बैठक में शंकराचार्य ने उमा भारती को आड़े हाथों लिया. स्वरूपानंद ने कहा, 'सिर्फ चिट्ठी लिखकर इस विवाद से उमा भारती का पीछा नहीं छूटने वाला. उन्हें स्पष्ट करना होगा कि वह राम की भक्त हैं या साईं की. हमें लगा कि उमा भारती के मंत्री बनने से राम मंदिर बनेगा लेकिन वो चुपके से मुसलमान का ध्यान कर रही हैं. उमा के गुरु हमारी बात से सहमत हैं पर चेली नहीं.'
शंकराचार्य ने एक बार साईं के भक्तों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'जो व्यक्ति जन्म और कर्म से मुसलमान था. तंबाकू खाता था. एकादशी को ब्राह्मणों को मांस खिलाता था, वो कैसा भगवान? वो तो असुर श्रेणी का होगा.'
उन्होंने आगे कहा, 'गायत्री भी साईं के नाम पर. राम के नाम के आगे भी साईं लगाते हैं. राम अकेले कल्याण करने में समर्थ हैं तो साईं नाम की जरूरत क्यों है? मांसाहार व दुराचार छोड़ो. उलटी-पुलटी बातें बनाकर सनातन धर्म का अपमान बंद हो. मंदिरों में साईं की मूर्ति क्यों लगाई जा रही है? हिंदू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां छोटी होती जा रही हैं और साईं की मूर्ति बड़ी.'
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने साईं के भक्तों के विरोध पर कहा कि वह आगे भी अपनी बात कहते रहेंगे. चाहे लोग प्रदर्शन करें या फिर उनके पुतले जलाए जाएं.