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राहुल के बयान से खुश हुए पवार, पेश किया पीएम चुनने का फॉर्मूला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को हराने के लिए संयुक्त विपक्ष जहां महागठबंधन की कवायद में जुटा है, वहीं मोदी को हराने के लिए शरद पवार ने फार्मूला पेश किया है. इसके तहत उन्होंने अलग-अलग राज्यों की स्थितियों के लिहाज से रणनीति तैयार करने पर जोर दिया है. 

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार
एनसीपी प्रमुख शरद पवार

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आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जहां विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करने की दिशा में काम कर रहा है, वहीं प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम पर चुप्पी भी साधे हुए हैं. ऐसे में एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने एक फार्मूला देते हुए इस मुद्दे पर विराम लगाने की कोशिश की है. पवार का कहना है कि जिस किसी भी दल की 2019 के लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें आएंगी वो प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी कर सकता है.

पार्टी के एक कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि पहले चुनाव होने दीजिए और बीजेपी को सत्ता से बाहर कीजिए. फिर हम सब साथ बैठेंगे और जिस पार्टी की सीट सबसे ज्यादा होगी, वो पीएम पद के लिए दावा पेश कर सकता है.

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पवार ने राहुल गांधी के बयान पर खुशी जाहिर करते हुए कहा "मैं खुश हूं कि कांग्रेस नेता (राहुल गांधी) ने भी कहा है कि वे प्रधानमंत्री पद की दौ़ड़ में नहीं है." बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन में भारतीय पत्रकारों के एक संघ से बातचीत में कहा था कि वो प्रधानमंत्री बनने के सपने नहीं देखते.

राहुल ने लंदन में कहा "मैं (राहुल गांधी) इस तरह (प्रधानमंत्री बनने) के सपने नहीं देखता. मैं खुद को एक वैचारिक लड़ाई लड़ने वाले के तौर पर देखता हूं और यह बदलाव मेरे अंदर 2014 के बाद आया. मुझे महसूस हुआ कि जिस तरह की घटनाएं देश में हो रही है, उससे भारत और भारतीयता को खतरा है. मुझे इससे देश की रक्षा करनी है."

इससे पहले भी आरजेडी, सपा और बसपा, राहुल गांधी को लेकर अपनी असहजता का जिक्र कर चुके हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि विपक्ष में ऐसे कई काबिल नेता हैं जो पीएम बन सकते हैं. वहीं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी पिछले महीने तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात करते हुए ऐसा इशारा देने की कोशिश की थी कि पीएम की इस रेस में उनकी दावेदारी को भी कमतर करके नहीं आंका जा सकता.   

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र कांग्रेस और एनसीपी के बीच दो दौर की बातचीत के बाद यह तय हो गया है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों दल साथ मिलकर लड़ेंगे. पवार ने राज्य के स्तर पर गठबंधन की पैरवी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के लिए निर्णय चुनाव के बाद होगा, जैसा 1977 और 2004 में हुआ था.

1977 में कांग्रेस की हार के बाद गैर कांग्रेसी दलों ने मोरार जी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. इसी तरह 2004 में यूपीए सरकार का गठन हुआ था जबकि किसी गैर बीजेपी दल को बहुमत नहीं मिला था और न ही किसी प्रधानमंत्री उम्मीदवार की घोषणा हुई थी.

महाराष्ट्र की राजनीति के कद्दावर नेता शरद पवार ने माना कि कांग्रेस गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मजबूत है, जबकि सपा और बसपा यूपी में, लिहाजा वे हर राज्य में जाने की कोशिश करेंगे और ऐसे क्षेत्रीय दल जो बीजेपी के साथ नहीं हैं उन्हें विपक्षी गठबंधन के साथ जोड़ने का प्रयास करेंगे. पवार ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में अलग तरह की स्थिति है. इसलिए हमें हर राज्य में वहां के मजबूत दलों के साथ मिलकर रणनीति तैयार करनी होगी.

बता दें कि इससे पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वे, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के साथ मिल कर विपक्ष को एक कर सकते हैं.

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