एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बीजेपी शासित राज्य झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो गाय को मां नहीं कहेंगे, उन्हें इस देश में रहने का अधिकार नहीं है. पवार ने कहा कि गाय का सभी आदर करते हैं, लेकिन ऐसा कहने का अधिकार सीएम को किसने दिया. क्या ये देश उनकी पर्सनल प्रॉपर्टी है.
शरद पवार ने सोमवार को कहा, 'ऐसा कहना मजाक करने जैसा है, क्योंकि हम गाय का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी जन्म देने वाली मां हमारी मां है. तो हम पहले हमारी मां का आदर करेंगे. गाय का आदर करने की भूमिका हमें मंजूर है, लेकिन गाय को मां नहीं कहेंगे, उन्हें इस देश में रहने का अधिकार नहीं, ये बोलने का अधिकार इन्हें किसने दिया. ये देश क्या इनकी पर्सनल प्रॉपर्टी है.'
'सावरकर की दूसरी भूमिकाओं की बात नहीं होती'
एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए पवार ने आरोप लगाया कि ये जो विधारधारा है, कुछ लोग इसे प्रशासन की मदद से समाज में फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. ये एक चिंता का विषय है. एनसीपी प्रमुख ने आगे कहा, 'हम गाय का सम्मान जरूर करते हैं. गाय एक उपयुक्त प्राणी है. उस प्राणी का जो लाभ लेना है, वो लेंगे ये तो सावरकर भी बताते थे. सावरकर ने जेल से छूटकर आने के बाद रत्नागिरी में जो मंदिर निर्माण किया, उस मंदिर का पुजारी एक दलित समाज का पुजारी नियुक्त किया था. लेकिन सावरकर की ये भूमिका कोई नहीं बताते. उनके हिंदुत्ववाद की भूमिका ही सबको बताते हैं.
'हमारे देश में भी फैला है ये रोग'
पुण्यभूषण फाऊंडेशन द्वारा दिए जाने वाले पुण्यभूषण पुरस्कार समारोह में अपने अध्यक्षीय भाषण में पवार ने कहा, 'तुर्की जैसे सुंदर देश में आए दिन 40-50 मासूमों की जान जा रही है. अमेरिका और अन्य प्रगतिशील देश भी इससे बचे नहीं हैं.' ISIS का हवाला देते हुए पवार ने कहा कि सांप्रदायिक विचारों की जिद करने वाले और उसके लिए कानून व्यवस्था हाथ में लेकर, मासूम निरपराध लोगों की हत्या करने का सत्र आज देश में, दुनिया में शुरू है. इसका रोग हमारे देश में भी है. इससे संघर्ष करने की जरूरत है.