जनता दल यूनाइटेड के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर ने राज्य सभा के महासचिव द्वारा सदस्यता खत्म करने के लिए भेजे गए एक नोटिस का जवाब देने के लिए 1 महीने का टाइम और मांगा है. राज्यसभा सचिवालय ने उनको एक पत्र जारी कर उनकी सदस्यता खत्म करने के लिए एक नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए आपकी सदन की सदस्यता क्यों न खत्म कर दी जाए. इस नोटिस की आज आखिरी तारीख थी.
आज अली अनवर अपने वकील के साथ राज्य सभा के महासचिव से मिलने पहुंचे. अली अनवर का कहना है कि, "राज्य सभा सचिवालय की तरफ से मुझे और शरद यादव को जो डिस क्वालीफाई करने का नोटिस दिया गया है, उसका जवाब देने के लिए समय चाहिए. जो पेपर दिए गए हैं उनकी सत्यता की जांच करवानी है और कानूनी तौर से चीजों को देखना है. ऐसे में एक सप्ताह का वक्त बहुत कम है. इसीलिए एक माह का और समय दिया जाए.
नीतीश पर आरोप लगाते हुए अली अनवर ने कहा कि, 'नीतीश गुट के लोग यह दावा करते घूम रहे हैं कि उनको नवंबर में होने वाले संसद सत्र में बैठने नहीं दिया जाएगा. उससे पहले ही उनको डिस क्वालीफाई करवा दिया जाएगा. मुझे उम्मीद है कि सभापति से जो आवेदन किया है उस पर पूरा ध्यान देंगे और जवाब देने के लिए और समय देंगे'.
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ मिलाकर महागठबंधन तोड़ दिया था. जिससे नाराज होकर शरद यादव और अली अनवर बागी तेवर अपनाते हुए पटना में लालू की रैली में शामिल हुए. शरद का यह कदम जदयू को नागवार गुजरा और पार्टी ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से उन्हें और अली अनवर अंसारी को अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था.
नीतीश कुमार गुट ने शरद यादव और अली अनवर के खिलाफ पार्टी विरोधी गतिविधियों से जुड़े साक्ष्य दस्तावेज राज्य सभा सचिवालय को सौंपे दिए थे. जिसके आधार पर नीतीश कुमार गुट चाहता है कि शरद यादव और अली अनवर को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाए. सचिवालय ने शरद यादव एवं अली अनवर अंसारी से उनकी पाटी की इस याचिका पर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था.