विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा किया. कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि किसी के मंच को साझा करने का मतलब उसकी विचारधारा को स्वीकारना नहीं है.
प्रेमजी संघ से जुड़े राष्ट्रीय सेवा भारती के शनिवार से शुरू हुए ‘राष्ट्रीय सेवा संगम’ नामक तीन दिवसीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे. संगम में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘भागवतजी ने जब मुझे यहां आने का निमंत्रण दिया तो कई लोगों ने आशंका जताई कि यहां मेरा आना संघ की विचारधारा स्वीकार करना माना जाएगा. लेकिन मैंने यह राय नहीं मानी. मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं.’
'संघ के कार्यक्रम में आने से खुश हूं'
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि किसी का मंच साझा
करना उसकी विचारधारा को पूर्णत: स्वीकार करना नहीं है.’ उन्होंने कहा कि वह यहां आकर खुश हैं. प्रेमजी
ने कहा कि संघ के समाज सेवी संगठनों ने महान कार्य किए हैं और वह उसका सम्मान करते हैं. अजीम ने
भ्रष्टाचार से हर स्तर पर लड़ने और महिलाओं, बच्चों तथा वंचित वर्गों के लिए उत्थान के लिए काम करने का
आहवान किया. उन्होंने गरीबी हटाने के लिए भी काम करने को कहा.
'शिक्षा पर नहीं दिया जा रहा है
ध्यान'
अजीम प्रेमजी ने देश निर्माण के लिए शिक्षा की जरूरत बताई और शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष
ध्यान देने को कहा. उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि शिक्षा पर जो ध्यान दिया जाना चाहिए, उतना नहीं
दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा विकास क्षमता बढ़ाती है और समाज को बेहतर बनाती है.
शिक्षा लाभ कमाने के लिए नहीं होनी चाहिए, खासकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा.
इनपुट भाषा