मणिपुर में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को हटाने की मांग पर पिछले 12 साल से भूख हड़ताल के जरिये मैराथन संघर्ष कर रहीं इरोम शर्मिला ने कहा कि विरोध के स्वरों को लंबे वक्त तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
शर्मिला को दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन के लिये भारतीय दंड संहिता की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत सोमवार को अदालत में पेश किये जाने के लिये दिल्ली लाया गया है.
रविवार शाम राजधानी में लाये जाने के बाद 40 वर्षीय शर्मिला ने कहा कि मैं आत्महत्या नहीं कर रही हूं, यह संघर्ष का मेरा तरीका है. मैं अहिंसक तरीकों से विरोध कर रही हूं. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का पूरा विश्वास है कि सरकार उनकी सुनेगी और अफ्सपा हटाने की उनकी मांग मानेगी.
शर्मिला ने कहा कि सरकार सेना से क्यों डरती है? वह सेना को क्यों संतुष्ट करने में लगी है? वह लोगों के हित के लिये एक फैसला क्यों नहीं कर सकती है.
गौरतलब है कि शर्मिला ने वर्ष 2000 में इंफाल हवाई अड्डे के पास असम राइफल के जवानों की गोलीबारी में 10 आम नागरिकों की हत्या के बाद अपना मैराथन संघर्ष शुरू किया. अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें जबरन नाक के जरिये आहार दिया जाता है.