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कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोले- अभी तक चुनावी मोड में पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर इशारों ही इशारों में निशाना साधा. जिसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक चुनावी मोड में हैं.

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संसद भवन के बाहर मीडिया से बातचीत करते कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (तस्वीर-एएनआई)
संसद भवन के बाहर मीडिया से बातचीत करते कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (तस्वीर-एएनआई)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर इशारों ही इशारों में निशाना साधा. जिसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक चुनावी मोड में हैं. वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पीएम और उनकी पार्टी ने शायद ही कभी कांग्रेस को क्रेडिट दिया है.

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'मुझे लगता है कि कम से कम हमारे द्वारा सरकार की आलोचना का प्रधानमंत्री ने जवाब दिया है. प्रधानमंत्री जो कांग्रेस के नेताओं का नाम भी लेने से बचते थे, उन्होंने कम से कम नेहरू जी के भाषण का जिक्र किया.'

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी, जिनकी पार्टी और वे खुद कांग्रेस को क्रेडिट देने से बचते रहे हैं उन्होंने आज(मंगलवार) कहा कि हम कुछ लोगों को क्रेडिट नहीं देते, मुझे नहीं लगता कि यह सही आलोचना है.'

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दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में मंगलवार को कहा कि अब वक्त आ गया है कि अधिकार के बजाय अब कर्तव्य निभाने पर जोर दिया जाए.

पीएम ने कहा कि अब देश को कर्तव्य की राह पर ले जाने की जरूरत है. पीएम मोदी ने इसके लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू के 67 साल पुराने बयान को सदन में पेश किया और कहा कि दुनिया को भारत की सबसे बड़ी सीख है ये कि सबसे पहले कर्तव्य आते हैं इन्हीं कर्तव्यों से अधिकार निकलते हैं. उन्होंने कहा कि पंडित जी के सपने को पूरा करने का वक्त आ गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के एक कथन को सदन में पढ़ा भी, उन्होंने कहा 'दुनिया को भारत की एक सबसे बड़ी सीख ये है कि यहां सबसे पहले कर्तव्य आते हैं, और इन्हीं कर्तव्यों से अधिकार निकलते हैं, आज के आधुनिक भौतिकवादी विश्व में जहां हर तरफ टकराव दिखाई पड़ते हैं वहां हर कोई अपने अधिकारों और सुविधा की बात करता है. शायद ही कोई कर्तव्यों की बात करता है. यही टकरावों की वजह हैं...ये वास्तविकता है कि अधिकारों और सुविधाओं के लिए ही हम लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन ऐसा करने में अगर हम कर्तव्यों को भूल जाएं तो ये अधिकार और सुविधाएं भी हमारे पास नहीं रह पाएगी.'

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