अपने 8 लाख से ज्यादा फालोअर के साथ शशि थरूर भारत के ट्विटर किंग के रूप में जाने जाते हैं. भारतीय जनजीवन से जुड़े कई उपन्यास और विश्लेषणात्मक किताबें लिखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुके शशि थरूर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने तीन साल की उम्र में ही किताबें पढ़नी शुरू कर दी थीं. शशि थरूर ने 1978 में अमरीका के फ्लैशर स्कूल ऑफ़ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पीएच डी की थी और तभी से वह संयुक्त राष्ट्र से जुड़े.
भारतीय नागरिक शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में उप महासचिव के रूप में कार्यरत थे. शशि थरूर ने अनेक उपन्यास लिखे हैं जिनमें एक राजनीतिक व्यंग्य ‘द ग्रेट इंडियन नॉवेल’ भी है. शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र के लोकप्रिय कर्मचारियों में से थे औऱ इसका उदाहरण तब देखने में आया जब संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों ने उन्हें आखिरी बार अलविदा कहा.
शशि थरुर ने 1978 में संयुक्त राष्ट्र में काम करना शुरू किया था. करीब तीस सालों में उन्होनें शरणार्थी विभाग, शांति दलों, महासचिव के कार्यालय, जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है औऱ उनके काम को काफ़ी सराहा भी गया था. महासचिव पद के चुनाव की दौड़ में वह भारत की ओर से उम्मीदवार भी थे. लेकिन उन्हें दक्षिण कोरियाई राजनयिक बान की मून ने उस समय शिकस्त दी जब सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से एक ने थरूर के खिलाफ़ वोट किया.
मूल रुप से केरल के रहने वाले शशि थरूर को कांग्रेस ने 2009 में तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाने का फ़ैसला किया. तिरुअनंतपुरम से जीते शशि थरूर को विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया.{mospagebreak}2010 में कोच्चि की आईपीएल टीम को लेकर विवादों में फंसे विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
शशि थरूर से जुड़े कई विवाद
शशि थरूर को लेकर पहला विवाद तब शुरु हुआ जब यह ख़बर प्रकाशित हुई कि विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और शशि थरूर दोनों अपने सरकारी आवास की जगह पांच सितारा होटल में रह रहे हैं. वित्तमंत्री ने खर्चों में कटौती की वजह से मंत्रियों को हवाई यात्राएं इकॉनॉमी क्लास में करने की हिदायत दी तो उन्होंने इस क्लास को ‘कैटल क्लास’ कहकर फिर एक विवाद खड़ा कर दिया.
विवाद ठंडा पड़ता उससे पहले अपने ट्विटर संदेशों के लिए ख्याति कमा चुके विदेश राज्यमंत्री ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि गांधी जयंती पर लोगों को घर पर आराम करने की जगह काम करना चाहिए.
जब भारत सरकार ने अपने वीज़ा नियमों को सख़्त करने का फ़ैसला किया तो उसकी सार्वजनिक रुप से निंदा करके वे फिर सुर्खियों में आए. एक बार उन्होंने कह दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सऊदी अरब ‘इंटरलोक्यूटर’ की भूमिका निभा सकता है. इस टिप्पणी के बाद मीडिया में यह विवाद खड़ा हो गया कि विदेश राज्यमंत्री भारत की इस नीति के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी और देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जा सकती.
आईपीएल के कमीश्नर ललित मोदी के साथ ट्विटर युद्ध से शुरु हुए इस विवाद ने इतना बड़ा रूप ले लिया कि आख़िर उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ गया.