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शास्त्री का पद्मश्री स्वीकार करने से फिर इनकार

राजनीति में फैली अंधेरगर्दी और भ्रष्‍टाचार को लक्ष्‍य करके आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री ने लिखा था, ''ऊपर-ऊपर पी जाते हैं, जो पीने वाले हैं...'' अब राजनीति भी उनके साथ ऐसा ही खेल खेल रही है. अपनी लगातार उपेक्षा के बाद शास्त्री ने एक बार फिर पद्मश्री सम्मान स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

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राजनीति में फैली अंधेरगर्दी और भ्रष्‍टाचार को लक्ष्‍य करके आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री ने लिखा था, ''ऊपर-ऊपर पी जाते हैं, जो पीने वाले हैं...'' अब राजनीति भी उनके साथ ऐसा ही खेल खेल रही है. अपनी लगातार उपेक्षा के बाद शास्त्री ने एक बार फिर पद्मश्री सम्मान स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
 
शास्‍त्रीजी को इस बात का बेहद अफसोस है कि 95 वसंत बीत जाने के बाद इस पड़ाव पर सरकार को उनकी याद आई. शिक्षा, कला एवं चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए बिहार की तीन विभूतियों आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री, डॉ. आरएन सिंह एवं हरि उप्पल को इस वर्ष पदमश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.

गत 25 जनवरी को इस पुरस्कार के लिए 95 वर्षीय शास्त्री जी के नाम की घोषणा होने पर उन्होंने इस उम्र में उन्हें यह सम्मान दिए जाने को अपमानजनक बताया था और वे एवं उनकी पत्नी छाया देवी इसको लेकर काफी आक्रोशित थे तथा पद्ममश्री पुरस्कार को स्वीकार करना नहीं चाहते थे. बाद में अपने प्रशंसकों एवं शुभचिंतकों के समझाने के बाद वे इसके लिए राजी हो गए थे.

पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि इस पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार द्वारा बायो-डाटा की मांग किए जाने पर आक्रोशित शास्त्री ने रविवार शाम एकबार फिर पद्मश्री सम्मान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. सूत्रों ने बताया कि शास्त्री ने कहा है कि उनके जैसे कवि को इस पुरस्कार को पाने के लिए अपना बायोडाटा देने की क्या जरूरत है.

आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री ने गत 26 जनवरी को कहा था कि उनकी हमेशा बहुत उपेक्षा की जाती रही और इस पुरस्कार से उनके बाद की पीढी के कई लोगों को पूर्व में सम्मनित किया जा चुका है. ऐसे में इस उम्र ने इसे उन्हें दिए जाने का कोई मतलब नहीं है. शास्त्रीजी ने कहा था कि इस पुरस्कार के मिलने से वे उत्साहित नहीं है और इससे जो राशि मिलेगी उसे वे अपने पालतू मवेशी की सेवा के लिए स्वीकार कर लेंगे.
मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज मंदिर स्थित निराला निकेतन में रह रहे शास्त्रीजी ने बडी संख्या में गाय सहित अन्य पशुओं को पाल रखा है और वे उनकी सेवा में लगे रहते हैं तथा उन पशुओं को खिलाने-पिलाने पर उन्हें काफी राशि खर्च करनी पडती है. शास्त्री इससे पूर्व वर्ष 1987 में राजेंद्र शिखर सम्मान, वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश के भारत-भारती सम्मान, शिवपूजन सम्मान से सम्मानित किए जा चुके हैं.

फिल्‍म जगत के एक साधारण-से अभिनेता सैफ अली खान तक को पद्ममश्री के लिए इसी बार चुना जा चुका है. ऐसे में इतने वरिष्‍ठ कवि की उपेक्षा पर शास्‍त्रीजी की यह पंक्तियां काबिलेगौर हैं, ''कुपथ-कुपथ जो रथ दौड़ाता, पथ निर्देशक वह है. लाज लजाती जिसकी कृति से, धृति उपदेशक वह है.''

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