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शीला ने मनु की पैरोल अवधि बढ़ाकर 30 दिन की थी

जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा को 15 दिन की पैरोल दिये जाने संबंधी दिल्ली के गृह सचिव की सलाह को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस अवधि को बढ़ाकर एक माह कर दिया था.

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जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा को 15 दिन की पैरोल दिये जाने संबंधी दिल्ली के गृह सचिव की सलाह को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस अवधि को बढ़ाकर एक माह कर दिया था.

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गौरतलब है कि पैरोल की अवधि में मनु ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन किया था. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत हासिल जानकारी के अनुसार, हरियाणा कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के पुत्र सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा को 18 सितंबर 2009 को एक माह की पैरोल दी गयी थी जबकि इसके लिए उसने सिर्फ 22 दिन पहले आवेदन किया था.

मनु शर्मा ने दिल्ली सरकार से 27 अगस्त 2009 को तीन माह की पैरोल का आग्रह किया था. इसके लिए उसने तीन कारण दिये थे: 2008 में मृत अपनी दादी के अंतिम संस्कार में भाग लेना, अपनी मां की बीमारी और अपने उपेक्षित व्यावसायिक हितों की देखभाल.

दिल्ली पुलिस ने 10 सितंबर 2009 को अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘मां की देखभाल के लिए उस (मनु) की जरूरत नहीं है और फिलहाल कंपनी का कारोबार उसके बिना निरंतर चल रहा है. उसके द्वारा दिये गये आधार ऐसे नहीं हैं जिनसे उसे पैरोल दी जा सके.’ फाइलों में दर्ज टिप्पणियों के अनुसार, दिल्ली सरकार के संयुक्त सचिव (गृह) जी एल मीणा ने दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट मिलने के एक दिन के भीतर आवेदन को अग्रसारित कर दिया था. {mospagebreak}

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प्रमुख सचिव (गृह) के लिए लिखते समय मीणा ने दिल्ली पुलिस की टिप्पणियों को दर्ज तो किया लेकिन उन्होंने तिहाड़ जेल के अधिकारियों और चंडीगढ़ पुलिस को 15 दिन के पैरोल की मंजूरी के लिए सिफारिश भी कर दी. इसके अगले ही दिन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 11 सितंबर 2009 को फाइल पर दर्ज किया, ‘तीन माह के उसके आग्रह को कम करते हुए एक माह का किया जा सकता है.’

यह फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल को उसी दिन मिल गयी थी. इन सिफारिशों के आधार पर उप राज्यपाल ने 18 सितंबर 2009 को मनु शर्मा को एक माह की पैरोल देने का आदेश दिया. मनु ने सात अक्‍टूबर 2007 को दिल्ली सरकार से एक बार फिर संपर्क किया और अपने पैरोल की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया जिसे 14 दिनों के भीतर स्वीकार कर लिया गया.

दिल्ली के उपराज्यपाल ने 21 अक्‍टूबर को कारोबार और संबंधित गतिविधियों के नाम पर मनु को पैरोल की मंजूरी दे दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनु शर्मा को ‘बेहद तेज रफ्तार’ से पैरोल दिये जाने और उंचे संपर्कों वाले दोषियों के साथ तरजीही व्यवहार करने पर सरकार की खिंचाई की है. न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने कहा था कि सामान्य मामलों में सरकार किसी दोषी के पैरोल आवेदन पर फैसला करने में तीन से छह माह का समय लेती है लेकिन मनु शर्मा के मामले में उसने उसकी याचिका को 20 दिनों के भीतर निपटा दिया.

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मनु शर्मा 29 अप्रैल 1999 की रात को टैमरिंड कोर्ट बार में माडल जेसिका लाल की नजदीक से हत्या करने के चलते तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है. इस बार की मालिक बीना रमानी हैं. मनु पैरोल की अवधि खत्म होने से 12 दिन पहले ही तिहाड़ जेल लौट आया था क्योंकि इस बात की आलोचना बढ़ती जा रही थी कि उसने उन नियमों का उल्लंघन किया है जिनके तहत उसे पैरोल दी गयी थी.

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