'लेट मी से इट नाउ' (अब मुझे कहने दीजिए)...ये जुमला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. मुंबई के पूर्व टॉप कॉप राकेश मारिया की किताब की रिलीज के 24 घंटे बाद ही शीर्ष अधिकारियों की ओर से जवाबी दावे सामने आने लगे हैं. बता दें कि मारिया ने अपनी किताब में कई सनसनीखेज दावे किए हैं.
चर्चित शीना बोरा मर्डर केस की जांच से अचानक उनके हटाए जाने का वाकया वर्षों से पहेली बना रहा. क्यों उनका अचानक ट्रांसफर किया गया था? क्या वो वास्तव में पीटर और शीना की मदद कर रहे थे? क्या देवन भारती भी पीटर की मदद कर रहा था? ऐसे कई सवाल हैं जो अनसुलझे रहे. इसको लेकर कई तरह की थ्योरी और अटकलें सामने आईं. लेकिन राकेश मारिया ने चुप्पी साधे रखी.
लेकिन अब इतने साल तक मौन रहने के बाद मुंबई के पूर्व टॉप कॉप ने अपनी किताब में शीना बोरा मर्डर केस की जांच से अपने अचानक ट्रांसफर को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. मारिया ने उन आरोपों पर भी मुंह खोला है जिनमें उनके पीटर मुखर्जी को संरक्षण देने की कोशिश करने की बात कही जाती थी. आईपीएस अधिकारी देवन भारती (तत्कालीन ज्वॉइंट कमिश्नर), जो तब कानून और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार थे, का हवाला देते हुए मारिया का कहना है कि उन्हें शीना बोरा मर्डर केस की अहम जानकारी को लेकर मुंबई के टॉप पुलिस अधिकारी ने अंधेरे में रखा.
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किताब के मुताबिक पूछताछ के दौरान पीटर ने मारिया को बताया कि शीना के लापता होने की शिकायत को लेकर 2012 में देवेन भारती से संपर्क किया गया था. भारती ने इस बारे में मारिया को नहीं बताया. देवन भारती ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, 'मिस्टर मारिया ऐसे परिवार से नाता रखते हैं जिसका बॉलिवुड से ताल्लुक रहा है. ऐसा लगता है कि स्क्रिप्ट राइटर्स का उन पर गहरा प्रभाव रहा है. इसके अलावा किताब और वेब सीरीज के लिए ये मार्केटिंग स्ट्रैटजी लगती है, इसमें तथ्यों को रखने की जगह ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित करने का प्रयास है. पुलिसकर्मियों के लिए सलाह है कि वो चार्जशीट और केस-डायरी पढ़ें न कि काल्पनिक कहानी, ट्रायल चल रहा है इसलिए ज्यादा कुछ बोलना उचित नहीं होगा लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि पूरी जांच टीम को सारे घटनाक्रम का पता था और जब तक जांच मुंबई पुलिस के पास थी, सभी को एक जितना ही पता था.'
मारिया ने किताब में अपने अचानक ट्रांसफर भी हैरानी जताई. मारिया के मुताबिक उन्हें एक टेक्स्ट मैसेज से इसकी जानकारी मिली. तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह के पी बख्शी ने इंडिया टुडे टीवी से कहा, 'मैंने अभी किताब नहीं पढ़ी है. अभी मैं प्रतिक्रिया नहीं दे सकता. लेकिन ये मैं बता सकता हूं कि सरकारी आदेशों पर अमल कराया गया था. ट्रांसफर सरकारी आदेश का नतीजा था. सरकार ने समझबूझ कर ट्रांसफर किया था.'
हालांकि मारिया ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वो अपने आप में बहुत कुछ कहती है. मारिया ने लिखा कि 'मंत्रालाय के बयान फ्लिप-फ्लॉप थे और कलाबाजियां थीं जो एथलेटिक मंत्रालय लगा रहा था.'
मारिया के इस आरोप पर के पी बख्शी ने कहा, 'हर कारण पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं की जा सकती. मैं सिर्फ इतना बता सकता हूं कि हमारे पास ये फैसला लेने को मजबूत तर्क थे और यही वजह थी कि उनके उत्तराधिकारी अहमद जावेद को मुंबई कमिश्नर बनाया गया.'
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जब इंडिया टुडे ने बख्शी से पूछा कि क्यों पूर्व टॉप कॉप को अहम जांच से हटाया गया तो उन्होंने कहा, 'वो कुछ भी लिख सकते हैं लेकिन हमने केस को उन्हीं के पास रखने का फैसला किया था. हालांकि उन्होंने साफ किया था कि एक बार ट्रांसफर हो गया तो वो जांच से नहीं जुड़े रहेंगे. तो ये मुद्दा नहीं था. मिस्टर अहमद जावेद उनसे वरिष्ठ थे और पुलिस कमिश्नर की पोस्ट पाने के बहुत पहले ही हकदार थे, असल में मारिया से भी पहले. इस वजह से सरकार ने दखल देकर समुचित कार्रवाई की.'