जवाहरलाल नेहरू की रिश्तेदार और पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल का 101 वर्ष की उम्र में संक्षिप्त बीमारी के बाद अस्पताल में निधन हो गया. हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल शीला पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं और शनिवार शाम उन्हें यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां रात आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.
पांच बार सांसद रहीं शीला का जन्म सात फरवरी 1915 में हुआ था. वह लाहौर महिला कॉलेज से आट्स की स्नातक थीं और लाहौर के सर गंगा राम प्रशिक्षण कॉलेज से उन्होंने शिक्षण की डिग्री ले रखी थी. उनकी शादी प्रख्यात वनस्पतिविद् कैलाशनाथ कौल से हुई थी.
कौल के परिवार में दो बेटे सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी गौतम कौल, अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासक विक्रम कौल के अलावा एक बेटी दीपा कौल हैं जो उत्तरप्रदेश की पूर्व सूचना मंत्री हैं. उनका अंतिम संस्कार शाम साढ़े चार बजे किया गया. इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और अन्य कई पार्टियों के नेता मौजूद थे.
शीला के बड़े बेटे गौतम ने मुखाग्नि दी. बिना पूर्व सूचना के हिंडन नदी के किनारे शवदाह गृह पहुंचीं कांग्रेस अध्यक्ष ने शीला के निधन पर गहरा दुख जताया. शीला कौल के परिवार और दोस्तों को सांत्वना देते हुए सोनिया ने उनके एक सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के तौर पर पांच दशक से ज्यादा समय तक के सार्वजनिक जीवन की सराहना की. अखिल भारतीय कांग्रेस सचिव नसीब सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव नरेन्द्र राठी, पूर्व विधायक गजराज सिंह के साथ ही कई समर्थकों और स्थानीय नेताओं ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी.
पी. वी. नरसिंह राव की कैबिनेट में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री रहीं शीला कौल पर 1992 से 1995 के बीच धन लाभ के बदले सरकारी आवासों को बिना बारी के आवंटन के आरोप भी लगे थे. याचिका पर सुनवाई के दौरान कौल अदालत में उपस्थित नहीं हुईं क्योंकि वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित थीं और 2012 से ही बिस्तर पर थीं.