scorecardresearch
 

मोदी को रोका पर राहुल को न टोका, तीन दिन में बदलना पड़ा बेबस मंत्री शिंदे को

तीन दिन पहले देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, उत्तराखंड के दौरे को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत दे रहे थे, मगर मंगलवार को उनके सुर बदले हुए थे, राहुल के दौरे के चलते. शिंदे बोले कि अब हालात ठीक हैं, इसलिए राहुल जी दौरा कर रहे हैं. अगर आप शिंदे की सरकती जीभ और बदलते बयान को लेकर चकरा रहे हैं, तो ये वाकया सुनें.

Advertisement
X
सुशील कुमार शिंदे
सुशील कुमार शिंदे

तीन दिन पहले देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, उत्तराखंड के दौरे को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत दे रहे थे, मगर मंगलवार को उनके सुर बदले हुए थे, राहुल के दौरे के चलते. शिंदे बोले कि अब हालात ठीक हैं, इसलिए राहुल जी दौरा कर रहे हैं. अगर आप शिंदे की सरकती जीभ और बदलते बयान को लेकर चकरा रहे हैं, तो ये वाकया सुनें.

Advertisement

ये पिछले बरस की बात है. पुणे में एक स्कूली प्रोग्राम चल रहा था. आज के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे वहां चीफ गेस्ट की हैसियत से मौजूद थे. भाषण देने की बारी आई और जिक्र करप्शन की तरफ मुड़ा, तो शिंदे बोले, इंडिया में लोग सब भूल जाते हैं. बोफोर्स भूल गए. कोल गेट यानी कोयला घोटाला भी भूल जाएंगे.

बयान पर बवाल मचा, तो शिंदे बोले कि प्रोग्राम बहुत सीरियस हो चला था, इसलिए मैंने मजाक में ये टिप्पणी की.

वाकया राजनैतिक किस्सेबाजी का नतीजा हो सकता है. मगर ये सच है कि होम मिनिस्टर की सीरियस पोस्ट संभाल रहे शिंदे इस तरह के मजाक अब भी लगातार करते रहते हैं. तभी तो तीन दिन में ही उनकी जबान हकलाते हुए हल्की होने लगी. बयान बदल गए और इसके पीछे की बेशर्मी छुपाने के लिए सभी नेताओं को धन्यवाद करने का लिहाफ भी ओढ़ा गया.

Advertisement

तीन दिन पहले जब नरेंद्र मोदी अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड पहुंचे, तो प्रोटोकॉल के मुताबिक सबसे पहले उत्तराखंड के सीएम विजय बहुगुणा से मिले. राज्य के हालात पर चर्चा की और सहायता की पेशकश की. गौरतलब है कि ये सहायता सिर्फ वित्तीय नहीं थी. नरेंद्र मोदी ने कहा कि भुज में भूकंप आया था. उसके बाद शहर को नए सिरे से बसाया गया. इसमें इंजीनियरों की जो टीम लगी थी, वह यहां आ सकती है. बहुगुणा को ये पेशकश न निगलते बनी, न उगलते. उन्होंने शालीनता से बस इतना ही कहा कि यहां का इलाका पहाड़ी है, हालात अलग हैं. देखना होगा.

इसके बाद मोदी ने इलाके का हवाई दौरा किया. गृह मंत्री शिंदे के निर्देश का असर था कि मोदी को राहत कैंपों में नहीं जाने दिया गया. उस वक्त देश को मंत्री जी का तर्क ठोस लगा था. आखिर वीआईपी दौरों से राहत कामों में बाधा तो आती ही है. उस वक्त शिंदे बोले थे कि उत्तराखंड के अलावा किसी भी और राज्य के मुख्यमंत्री को वहां नहीं जाना चाहिए हालात देखने के लिए. सिर्फ पुलिस और फौज को पेशेवर ढंग से राहत काम करने देना चाहिए.

दुरुस्त बात रही. फिर कांग्रेस मुख मंजन में जुट गई. मोदी को प्रचार का भूखा करार दिया गया. डिजास्टर टूरिजम का हवाला दिया आईबी मिनिस्टर और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने. दिग्गी तो ऐसे में हमेशा चौकस रहते ही हैं. उन्होंने भी कह दिया कि फेकू एट वर्क अगेन.

Advertisement

मगर ये क्या, तीन दिन में ही शिंदे फेकू नजर आने लगे. मंगलवार को उनसे सवाल पूछा गया कि अभी तो आप कह रहे थे कि किसी भी वीआईपी को लैंड नहीं करने दिया जाएगा और राहुल गांधी सोमवार से राज्य का हवाई और सड़क दौरा करने में लगे हैं. इस पर शिंदे ने जो जवाब दिया, उसे उन्हीं की जुबान में सुनें, पढ़ें। बकौल शिंदे, ‘वो हमने स्ट्रिक्ट इसलिए किया था कि नीचे वीआईपी लोग लैंड होने से सब पुलिसवाले वीआईपी के बंदोबस्त में लगते हैं, तो हमने विनती की थी. मैं खुद नहीं जा पाया. मेरे को ही मना कर दिया था. नरेंद्र मोदी भी नहीं गए. वो भी बस ऊपर से ही ओवरव्यू किया. निरीक्षण किया.

अभी राहुल जी गए हैं, क्योंकि अभी तो परिस्थिति ठीक है, पहले तीन चार दिन ठीक नहीं थी. मैंने केवल सीएम उत्तराखंड को जाने के लिए किया था. किसी को मत जाने दो, बोला था. सब नेताओं ने देश के इसे सुना, मैं धन्यवाद देता हूं.इस तरह के काम में लोग लगते हैं. बचाने का काम होता है. सब अच्छी तरह से कॉर्डिनेशन हो रहा है.’

इस बयान में कोई काट छांट नहीं की गई. जो जैसा आज तक को बताया आपके सामने पेश कर दिया. मगर गौर करिए इसकी इबारत पर. देश का गृह मंत्री, जिसे सत्ता क्रम में पीएम के बाद सबसे ताकतवर माना जाता है, बेबसी जाहिर कर रहा है. कह रहा है कि मुझे ही उत्तराखंड जाने से मना कर दिया गया. और शोलापुर का ये खांटी नेता, ऐसा सीधा कि मान भी गया. फिर परिस्थित ठीक हो गई. मगर मंत्री को पता नहीं चला. चलता तो वो दौरा करने पहुंच जाते. मगर फिर पहुंच गए सुपर पीएम राहुल गांधी. ऐसे में शिंदे क्या सफाई देते. तो बोले कि अभी सब ठीक है. ऐसा ही सब ठीक मनमोहन ने भी बताया था देश को. मगर कितना गलत था, ये उन्हें 24 घंटे में ही प्रतिक्रियाओं की बाढ़ से पता चल गया.

Advertisement

इस संदर्भ में कांग्रेस का मोदी के खिलाफ आक्रामक रवैया और हमलावर रुख धारदार नहीं दिख रहा. कांग्रेसी नेता बढ़ चढ़कर गुजरात के सीएम पर कटाक्ष कर रहे हैं. कोई उन्हें रैंबो कह रहा है, तो कोई रावण और सुपरमैन. मगर गौर करें कि ये वही नेता हैं, जो उसी सांस में यह भी कहते हैं कि मोदी कांग्रेस के लिए कोई खतरा नहीं. अगर खतरा नहीं तो इतनी तवज्जों क्यों.

उधर मोदी की खिंचाई एक और कोने से हुई है. उनके आने के बाद तीन पार्टियों में सिमटे एनडीए के घटक दल शिवसेना ने निशाना साधा है. सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र सामना में लिखा कि मोदी सिर्फ गुजरातियों के नेता कब तक बने रहेंगे. सवाल जायज है और मोदी को वक्त रहते इसका जवाब खोजना होगा. उन्हें यह भी देखना होगा कि मजाक बन जाने से पहले ही उन्हें लेकर जो दंतकथाएं गढ़ी जा रही हैं, उनका खंडन किया जाए. वर्ना रैंबो मोदी और 15 हजार के आंकड़े जनश्रुति बनने में देर नहीं लगाते.

Advertisement
Advertisement