देश को ‘नागरिक’ की नई परिभाषा देने वाली कांग्रेस के कुमार राहुल गांधी के आपदा पर्यटन के बाद अब गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे कह रहे हैं कि ‘हालात ठीक हैं. अब कोई भी वहां जा सकता है. मोदी भी.’ उनका ये बयान सुनकर विपक्ष भले ही भौं ताने, मगर देश धन्य हो गया. उसे अपना हजारों साल पुराना अतीत याद आ गया. जब राजा के जीमने (खाने) के बाद या कोई और काम करने के बाद प्रजा को भी वैसा करने की इजाजत मिल जाती थी. उसके पहले तक सब विधि विधान का हवाला दिया जाता था.
राजा मर गए और कहने को लोकतंत्र आ गया. यहां सरनेम के सर पर सवार नए राजाओं की पौध पनप चुकी है. इसीलिए तो जो विधान तीन दिन पहले तक वीआईपी दौरों की मनाही कर रहा था. वह कांग्रेसी राजकुमार के जाते ही बदल गया. पिछले हफ्ते शिंदे बोल रहे थे कि सिर्फ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दौरा कर सकते हैं आपदाग्रस्त इलाकों में चल रहे राहत कार्यों का. बाकी जिसे जाना है, हवाई दौरा कर ले. उनकी नसीहत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए थी. शिंदे तो यहां तक बोल गए कि मैं भी नहीं जा पा रहा हूं इसी वजह से. मगर तीन बाद मंगलवार को अपना मुंह छिपाते हुए शिंदे बोले कि अब हालात ठीक हैं. ये ठीक बयान आया राहुल गांधी के उत्तराखंड दौरे के बाद. विदेश से छुट्टियां मनाकर लौटे राहुल पहले दिन नजर आए गेस्ट अपीयरेंस में. मंच था कांग्रेस की राहत सामग्री को रवाना करने का. मम्मी सोनिया ने झंडी दिखाई और बगल में कुर्ता पैजामा वाली औपचारिक ड्रेस में लिपटे राजकुमार नजर आए. फिर एक दिन बाद ही वह बाबू मोशाय बन गए. डिजास्टर बाबू बनने को मचल गए. कुर्ते और जींस में सज पहुंच गए देहरादून. फिर अगले दिन इस नए बिलखते भारत के दर्शन को निकलना था. उसके पहले ही राज्य प्रशासन को सब ठीक कर देना था.
सब ठीक ही चल रहा है इस मनमोहनी राज में. आपदा होती तो राहुल का हेलिकॉप्टर देहरादून में कैसे लैंड करता. उनकी एसयूवी का काफिला देव प्रयाग तक कैसे पहुंचता. अगर आपदा होती तो आईटीबीपी का गेस्ट हाउस ठसाठस भरा होता. मगर नहीं वह तो राहुल के पहुंचने के पहले ही खाली हो चुका था. और रही मांग और गुहार लगाती जनता की बात, तो यह दशकों से ऐसी ही मंगती रही है. राजकुमार दिखे नहीं, घेर लिया और फरियाद शुरू कर दी. हमको यह नहीं मिला, हमको वह नहीं मिला. अरे ये तो नहीं कि देवदूत समान जो राजकुमार, लोकतंत्र के लाल, लुटियंस की दिल्ली से दौरे पर आए हैं, उनको टीका कराया जाए. अपनी झोंपड़ी दी जाए नाइट स्टे के लिए. थर्मोकोल की प्लेट में पूड़ी परोसी जाए. और फिर अल सुबह कुमार के उठते ही बाल्टी लेकर हैंडपंप पर तैनात हुआ जाए. तो क्या हुआ जो पूरे सूबे में पानी ही पानी है. वह गंदा है. कुमार साफ हैं. और साफ होना चाहते हैं. इसलिए पानी से लबालब भरी धरती से पाइप के जरिए उन्हें पानी दिया जाए. ताकि वह स्नान कर सकें. और पर्यटन जारी रख सकें. देश को देखना बेहद जरूरी जो है. कुमार इस देश को देखेंगे नहीं, तो उसके होने का फायदा ही क्या.