गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के ‘हिंदू आतंकवाद’ संबंधी बयानों के संबंध में सरकार के एक मंत्री ने कहा है कि शिंदे ने अपने विवादास्पद बयान को लेकर माफी नहीं मांगी है और केवल खेद जताया है जिसे भाजपा ने स्वीकार कर लिया है.
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘यह शब्द अफसोस है. इसी शब्द (रिग्रेट) का इस्तेमाल किया गया. जिस भाषा का इस्तेमाल हो चुका है, मैं उसे बदल नहीं सकता.’ उनसे पूछा गया था कि शिंदे ने जयपुर में कांग्रेस की चिंतन बैठक के दौरान दिये गये अपने बयान को लेकर अफसोस जताया था या माफी मांगी थी.
कमलनाथ ने कहा कि शिंदे ने भाजपा शब्द का इस्तेमाल किया था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनका किसी राजनीतिक संगठन से कोई आशय नहीं था.
उन्होंने कहा कि अगर जाने अनजाने में इसका यह आशय लगाया गया है तो शिंदे अफसोस जता चुके हैं.
उन्होंने शिंदे के बयान और गृहमंत्री के तौर पर पी चिदंबरम के इसी तरह के बयान में अंतर भी बताया.
कमलनाथ ने कहा, ‘अंतर यह है कि शिंदे ने भाजपा शब्द का इस्तेमाल किया और चिदंबरम ने भाजपा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था.’ मंत्री ने कहा कि भाजपा नेताओं के साथ उनकी और शिंदे की मुलाकातों में बातचीत के दौरान शिंदे के खेद जताने वाले बयान पर चर्चा हुई.
उन्होंने भाजपा नेताओं से बैठकों का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा के साथ बयान को लेकर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि खेद जताने संबंधी बयान काफी है.
कमलनाथ ने कहा कि बाद में मामला पेचीदा नहीं हो, इससे बचने के लिए भाजपा के नेताओं से बातचीत की गयी. उन्होंने कहा कि शिंदे ने जयपुर की बैठक में दिये गये बयान से इनकार नहीं किया है और केवल स्पष्ट किया है कि उनका यह मतलब नहीं था.
कमलनाथ ने कहा कि गृह मंत्री हमेशा से ही अपने बयान पर सफाई देना चाहते थे और बयान जारी करने के लिए उचित वक्त चुना गया.
उन्होंने कहा, ‘अगर इसमें 30 दिन लगे तो क्या हो गया? ऐसा होता है. इससे भाजपा को मतलब होना चाहिए, आपको नहीं. सवाल यह है कि इस विषय पर मामला खत्म हो गया है और संसद में इसे मुद्दा बनाये बिना काम हो रहा है.’
कांग्रेस के प्रवक्ता पी सी चाको ने कहा था कि शिंदे तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं थे. इस पर कमलनाथ ने कहा कि यह चाको की निजी राय है.
कमलनाथ ने सूर्यानेल्ली बलात्कार कांड के सिलसिले में राज्यसभा के उपसभापति पी जे कुरियन को हटाने की वाम दलों की मांग पर कहा, ‘मैं इसे मंजूर नहीं करूंगा. अगर आप बहिष्कार करना चाहते हैं तो यह आपका सदन है. यह मेरा सदन नहीं है.’
उन्होंने इस बात को भी खारिज कर दिया कि कुरियन को बलात्कार निरोधी कानूनों को मजबूत करने के लिहाज से विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं करने देनी चाहिए.
कमलनाथ ने कहा, ‘अगर वह आसन पर हैं तो वह अध्यक्षता करेंगे. क्यों नहीं करेंगे?’ कड़े बलात्कार निरोधी कानूनों पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अधिक से अधिक अहमियत दे रहा है और इसे स्थाई समिति को भेजने के पक्ष में नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘मेरा विचार है कि सभी राजनीतिक दलों को आम.सहमति पर पहुंचना चाहिए और यह किसी समिति के पास नहीं जाना चाहिए. हमें यथासंभव जल्दी विधेयक को पारित करना चाहिए.’