शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का स्मारक बनाने की बहस पर संयम बरतने की अपील करते हुए ठाकरे के बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि इस बारे में फैसला लाखों शिवसैनिक करेंगे.
उद्धव ने एक बयान में कहा, ‘यह स्मारक के मुद्दे पर बहस का विषय नहीं है. ठाकरे परिवार पर आपदा आई है और शिवसेना का परिवार इस नुकसान से उबरा नहीं है. स्मारक के खिलाफ तर्क देने वालों को हमारी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए. जो दलील दे रहे हैं उन्हें संयम बरतकर हमारी मदद करनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘शिवसेना प्रमुख के अंतिम संस्कार में शामिल हुए 25 लाख लोगों की भीड़ ने अनुशासित रवैया अपनाया. मैं इस संयम की प्रशंसा करता हूं.’ दिवंगत बाल ठाकरे का स्मारक बनाये जाने के पक्ष में और खिलाफ बहस तेज होने के बीच उद्धव ने कहा, ‘ये लाखों समर्थक स्मारक के बारे में फैसला करेंगे. मैं शिवसेना प्रमुख और शिवसैनिकों के बीच में नहीं आउंगा.’
कांग्रेस और राकांपा दोनों ही स्मारक के मुद्दे पर सावधानी से कदम रख रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने कहा था कि स्मारक की अनुमति देने पर फैसला सरकार को करना है. उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार प्रदेश कांग्रेस का रुख जानना चाहती है तो मैं अधिकारियों को बताउंगा.’
राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि जिस शिवाजी पार्क में रविवार को ठाकरे का अंतिम संस्कार किया गया वह शिवसेना-भाजपा के नियंत्रण वाले बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अंतर्गत आता है इसलिए फैसला उन्हें लेना है. महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि अगर स्मारक की मांग की गयी तो वह उसके प्रस्ताव पर ‘सकारात्मक तरीके’ से विचार करेगी. हालांकि शिवाजी पार्क के नागरिक संगठनों ने इस कदम पर विरोध दर्ज कराया है.
वेलकम ट्रस्ट के अशोक रावत ने कहा, ‘कुल मिलाकर हम शिवाजी पार्क में किसी भी निर्माण का विरोध कर रहे हैं.’ रावत की जनहित याचिका पर शिवाजी पार्क को उच्च न्यायालय ने शोर रहित क्षेत्र घोषित किया था.
उन्होंने कहा, ‘वहां किसी भी निर्माण कार्य से विकास नियंत्रण (डीसी) नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन होगा. शिवाजी पार्क छत्रपति शिवाजी महाराज की स्मृति में है. यहां दो लोगों का स्मारक कैसे हो सकता है. अगर सरकार पार्क में शिवाजी का संग्रहालय बनाने का भी फैसला लेती है तो एनजीओ इसका विरोध करेगा.’ रावत के अनुसार एनजीओ के ट्रस्टी बैठक कर इस मुद्दे पर विचार विमर्श करेंगे और अदालत में जाने या नहीं जाने के बारे में फैसला करेंगे.