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सोनिया-राहुल को भूलो, 'हिंदुत्व-राग' अलापो मोदी!: शिवसेना

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद विपक्षियों के निशाने पर तो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हैं ही. अब साथी भी उन्हें नसीहत देने का मौका नहीं चूक रहे.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद विपक्षियों के निशाने पर तो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हैं ही. अब साथी भी उन्हें नसीहत देने का मौका नहीं चूक रहे.

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इस हार के बहाने एनडीए गठबंधन की अहम सहयोगी शिवसेना ने गुजरात के मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. शिवसेना ने कहा है कि मोदी को हिंदुत्व की जगह सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर हमला करने की रणनीति का नुकसान उठाना पड़ा.

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने छपे लेख में पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि मोदी ने कर्नाटक में अपने चुनाव प्रचार में सोनिया और राहुल पर निशान साधा जबकि उन्हें हिंदुत्व मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए था.

क्या लिखा है 'सामना' में
कर्नाटक में सीधे-सीधे हिंदू हितों की रक्षा की भूमिका होनी चाहिए थी. नरेंद्र मोदी कर्नाटक में प्रचार के लिए गए. वहां सभा की लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गाधी पर टिप्पणी करना ही उनका प्रमुख मुद्दा रहा. सोनिया और राहुल पर टिप्पणी में अब जनता की ज्यादा रुचि नहीं है. राहुल गांधी को अक्ल नहीं है और वो अभी कच्चे हैं. ये सब मोदी बार-बार बोलते हैं लेकिन उसका परिणाम जनता पर नहीं होता है. मोदी वहां पर सेक्यूलर मतलब धर्मनिरपेक्ष रहे. सबने धर्मनिरपेक्ष रहने का ही अगर सोचा है तो इस देश के 80 करोड़ हिंदुओं के लिए कौन सोचेगा? हिंदुओं का नेता नहीं, हिंदुओं का आधार नहीं. ऐसा कोई नेता नहीं है जिसको सच्चा हिंदुवादी नेता कहा जा सकता है. प्रखर हिंदुवादी नेता भी चुनाव आते ही सेक्यूलर बन जाते हैं और राष्ट्रीय राजनीति में अपने पैर जमाने के लिए हिंदुत्व का मुद्दा छोड़ देते हैं. सेक्यूलर शब्द के नाम पर हिंदुओं को छला जा रहा है और देश में राजनीति की जा रही है और सेक्यूलर का टीका लगा कर बहुत नेता घूम रहे हैं.

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यह पहला मौका नहीं है जब कर्नाटक के नतीजों के बहाने शिवसेना ने बीजेपी या उसके नेताओं पर निशाना साधा है. इससे पहले शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक में बीजेपी सरकार की पराजय पर खुशी जताई थी उसे  ‘मराठी विरोधी’ सरकार करार दिया था.

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा था, ‘किसी को भी कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से खुश हूं क्योंकि सीमावर्ती इलाकों के लोगों के साथ हमेशा नाइंसाफ करने वाली बीजेपी सरकार सत्ता से अपदस्थ हो गयी.’गौरतलब है कि कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों के वर्चस्व वाले सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच तनातनी है.

अब देखना होगा कि शिवसेना नेता संजय राउत की यह नसीहत बीजेपी को कितनी रास आती है.

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