दिल्ली में करारी हार ने बीजेपी के साथियों को भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधने का मौका दे दिया है. शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने तो AAP की शानदार जीत के बाद मंगलवार को ही कहा था कि दिल्ली में लहर नहीं सुनामी आई. वहीं, पार्टी के मुखपत्र 'सामना' ने इस हार के लिए नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है.
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सामना ने लिखा है कि यह पूरी तरह से मोदी की हार है क्योंकि पूरा सरकारी तंत्र प्रचार करने में जुटा था. शिवसेना ने अमित शाह पर कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.
सामना में छपे लेख के मुख्य अंश-
जनता ने बीजेपी का कचरा कर दिया
जिस लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को शत प्रतिशत विजय हासिल हुई, उसी दिल्ली की जनता ने आप के अरविंद केजरीवाल की झाड़ू हाथ में लेकर बीजेपी का कचरा कर दिया, यह दुर्भाग्यवश कहना पड़ रहा है. राजनीति कितनी चंचल हुआ करती है यह दिल्ली के चुनाव ने सिद्ध कर दिया.
वादे नहीं किए पूरे इसलिए जनता ने नकारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निवास अब दिल्ली में ही हुआ करता है, परंतु इतने निकट होकर भी इस बार मोदी का ब्रह्मास्त्र नहीं चला. चुनाव में अमित शाह का जादू नहीं चला. दिल्ली का चुनाव परिणाम तमाम अर्थों में, तमाम लोगों का परिणाम है. भारतीय जनता पार्टी हमारा पुराना सहकारी मित्र है. संपूर्ण देश में उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पदाक्रांत किया, पर देश की राजधानी में उनका कमल नहीं खिल सका. सिर्फ घोषणा और भाषण के बल पर चुनाव नहीं जीते जा सकते. बूथ प्रमुखों का प्रबंधन, जातीय समीकरण और समग्र सत्ता को झोंक देने से भी मनचाहे परिणाम नहीं हासिल किए जा सकते. महाराष्ट्र में भी यह घटित नहीं हो सका और दिल्ली में तो सत्ता के समग्र तंत्र को जनता ने ठुकरा दिया. इस निमित्त भारतीय जनता पार्टी में व्याप्त असंतोष और बेचैनी भी प्रकट हुई. हर बार पार्टी कार्यकर्ताओं के सिर पर बाहरी उम्मीदवार और निर्णय नहीं लादे जा सकते. यह पहला सबक और मतदाताओं को कोई अपनी निजी जागीर नहीं मान सकता यह दूसरा सबक चुनाव ने दिया है.
यह मोदी की हार है
लहर की तुलना सुनामी का प्रभावी प्रबल हुआ करता है यह दिल्ली में दिखाई दिया. महाराष्ट्र के बाद सुनामी का पानी आज दिल्ली जा पहुंचा. उसका झटका बीजेपी को लगा और उनका दारुण पराभव हुआ. बीजेपी के लोगों को लगता है कि यह पराभव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं है. यदि यह पराभव नरेंद्र मोदी का नहीं है तो निश्चित तौर पर किसका है? केजरीवाल जीते, फिर हारा कौन? वास्तव में दिल्ली की समग्र प्रचार तंत्र को मोदी के नाम पर ही उतारा गया था. दूसरे नेताओं के लिए वहां कोई मौका नहीं था. इसलिए दिल्ली का पराभव यह मोदी का पराभव है, ऐसा अन्ना हजारे ने कहा. हमारा भी वही मत है.
नकारात्मक प्रचार ले डूबा
जनता ने मोदी के नेतृत्व में भाजपा को क्यों दूर किया? बेरोजगारी कम नहीं हुई, महंगाई नीचे नहीं आई, बेघरों को घर नहीं मिला, आश्वासनों की पूर्ति नहीं हुई. मोदी समेत बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने केजरीवाल और राहुल गांधी का अपने भाषणों में मजाक उड़ाया. नकारात्मक प्रचार का झटका अंततः उन्हें लगा.